जब एमी की आंख खुली तो उसे एक हाथ , शरीर के बिना , कोने में रखा दिखाई दिया ।
एमी ने अपने पूरे जीवन में इतना गंदा और डरावना दृश्य कभी नहीं देखा था ।
वह डर गई और अपना सिर कंबल में छिपा लिया ।
फिर वह सोचने लगी , ' यह डरावना हाथ कहां से आया और मेरे कमरे में क्या कर रहा है ? "
एमी ने बहुत दिमाग लगाया , लेकिन यह पता नहीं लगा सकी कि उस हाथ का उसके कमरे में क्या काम हो सकता है ?
जब वह सोने के लिए अपने कमरे में गई थी , तब वह हाथ उस जगह पर नहीं था ।
उसने सोचा , ' हो सकता है कि खिड़की के रास्ते आ गया हो । '
लेकिन एमी की समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्यों और कैसे संभव हुआ ?
एक हाथ शरीर के बिना कैसे हो सकता है ? वह प्लास्टिक का हाथ भी नहीं था ।
बिल्कुल असली , इन्सानी हाथ लग रहा था ।
एमी बड़ी देर तक कंबल में दुबकी रही ।
लेकिन ताजी हवा लेने के लिए उसे बाहर तो आना ही था ।
उसे बहुत गरमी भी लग रही थी ।
एमी ने गहरी सांस लेकर अपने कंबल से बाहर झांका ।
उस हाथ ने अपनी जगह बदल दी थी ।
वह उसके बहुत निकट आ गया था ।
उसने सोचा , ' यह हाथ अब क्या करेगा ?
यह इतना नजदीक क्यों आ गया ?
यह हिल कैसे रहा है ? '
उसके दिमाग में कई तरह के सवाल उमड़ - घुमड़ रहे थे ।
तभी एमी ने हाथ को पास से देखने का फैसला किया ।
उसने अपना हाथ आगे किया और उसे अपने हाथ से सहलाया ।
तभी एमी यह देखकर हैरान हो गई कि वह हाथ उछलकर आगे आया और उसका गाल सहलाने लगा ।
अब एमी को उस हाथ से डर नहीं लग रहा था ।
वह तो एमी के तीसरे हाथ जैसा था ।
वह हमेशा उसके साथ रहता और हर काम में उसकी मदद करता ।
तभी एमी की समझ में आ गया कि सारे राक्षस बुरे नहीं होते !
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