केसी को अंधेरा बहुत पसंद था ।
वह उसे रहस्यमयी और तिलस्मी लगता था ।
कई बार वह रात को सोने से पहले , अंधेरे में बैठकर गाना गाती थी ।
लेकिन आजकल उसे अंधेरे से डर लगने लगा था ।
केसी को वहां एक छाया दिखाई देती थी , जो उसे डराती थी ।
जब केसी की मम्मी ने उससे पूछा कि क्या हुआ , तो केसी ने उन्हें टाल दिया ।
वह बोली , " मैंने एक बुरा सपना देखा था । "
वस्तुतः वह परछाईं बिल्कुल असली लगती थी और उसे बहुत डराती थी ।
वह बार - बार उसके आगे आ जाती थी ।
इसलिए अब कैसी को अंधेरे से नफरत होने लगी थी ।
केसी की नींद पूरी न होने से उसकी आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ गए थे ।
एक दिन केसी इन बातों से परेशान हो गई ।
उसने निश्चय किया कि सच का पता लगाना चाहिए ।
अतः केसी ने रात्रिकाल सोने से पहले यह सोच लिया था कि वह उस परछाईं का डटकर सामना करेगी ।
वह कोई डरपोक लड़की नहीं है ।
केसी आराम से अपने बिस्तर पर लेटकर सो गई , लेकिन रात को एक बजे अचानक उसकी आंख खुल गई ।
वह परछाई केसी के सामने की दीवार पर दिखाई दे रही थी ।
वह कह रही थी , " मुझे माफ कर दो । यह मैंने नहीं किया । "
उस परछाईं की आंखें लाल थीं , उसके हाथ - पैरों में जंजीरें बंधी थीं और चेहरे पर पीड़ा के भाव थे ।
केसी कहीं छिपने के बजाय उसे निर्भय होकर देखने लगी ।
फिर केसी ने तेज आवाज में उस परछाईं से पूछा , “ कौन हो तुम और यहां क्या कर रही हो ? "
“ मैं ' सॉरी ' आत्मा हूं । मैं उनके पास जाती हूं , जो भूल करने के बाद ' सॉरी ' नहीं कहते ।
मैं उनके पास जाती हूं , जो बीते हुए समय में जाने के इच्छुक रहते हैं और अपनी गलतियां दूर कर लेते हैं ।
वे बीते हुए समय में जाकर ' सॉरी ' बोलकर आना चाहते हैं । "
केसी पुनः डरकर कंबल में जा छिपी । वह राक्षस देखने में अधिक डरावना नहीं था ।
लेकिन उसकी आवाज ऐसी थी , जैसे चम्मच को स्टील पर रगड़ा जा रहा हो ।
उस आवाज से उसके कानों में दर्द होने लगा था ।
केसी ने अपना मुंह कसकर भींच लिया ।
कुछ देर बाद केसी ने अपना मुंह बाहर निकालकर देखा ।
परछाईं अब भी उसे देख रही थी । केसी पुनः छिप गई , लेकिन वह ज्यादा देर तक डरने वालों में से नहीं थी ।
वह एक बहादुर लड़की थी । उसने खुद को संभाला ।
गहरी सांसें भरीं और दस तक गिनती की , जैसा कि उसकी मम्मी ने उसे सिखाया था ।
फिर वह सोचने लगी , ' यह राक्षस यहां क्यों आया है ? '
उसने खूब सोच विचार किया केसी ने याद करने की कोशिश की कि उसने कभी कोई भूल तो नहीं की और ऐसा भी नहीं हुआ कि वह गलती की माफी मांगना भूल गई हो ।
केसी एक ईमानदार लड़की थी । उसे मालूम था कि झूठ बोलना बुरी बात है ।
एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं ।
सच बोलकर उसका सामना करना कहीं आसान होता है ।
केसी को एहसास हुआ कि उसने कभी कोई भूल नहीं की ।
अचानक उसका सारा डर जाता रहा ।
उसने एकटक राक्षस की आंखों में देखा और उसके सिर पर एक चप्पल दे मारी , फिर गुस्से से बोली , “ कमअक्ल ! तू यहां क्यों आया है ?
मैंने क्या किया है ? भाग जा यहां से । " तभी केसी की निर्दोष आंखों से ऐसी चमक
निकली , जिसने परछाई में आग लगा दी ।
परछाईं उसी समय जलकर भस्म हो गई ।
वह केसी के पास दोबारा कभी नहीं आई ।