सुनहरे रंग का अंडा आदमखोर दैत्य ग्राउच का सबसे कीमती खजाना था ।
ग्राउच उस सुनहरे अंडे को अपनी तिजोरी के सबसे अंदर वाले हिस्से में संभालकर रखता था ।
उसके खजाने में बहुत से कीमती हीरे - जवाहरात तथा सोने - चांदी के सिक्के भरे हुए थे ।
लेकिन सुनहरा अंडा आभूषणों के एक बक्से में था , जिसे एक के अंदर एक तीन बंद बक्सों में रखा गया था ।
उसे वहां से निकालना असंभव काम था ।
उस सुनहरे अंडे में ग्राउच दैत्य के जीवन का बीज था ।
अगर उस अंडे में दरार पड़ जाए , तो ग्राउच बीमार हो जाता और अगर उसे तोड़ दिया जाए , तो ग्राउच की मौत हो सकती थी ।
उस दुष्ट ग्राउच को मारने का कोई दूसरा उपाय नहीं था ।
ग्राउच शनि ग्रह का सबसे दुष्ट आदमखोर दैत्य था ।
उसे पक्षी - जानवरों का शिकार करना बहुत पसंद था ।
पक्षी - जानवर ऐसे जीव थे , जिनके सिर एवं पंख पक्षी जैसे तथा शरीर पशु के समान थे ।
पटपारा एक ऐसा ही नन्हा पक्षी जानवर था ।
वह एक बहादुर और
दयालु जीव था । पटपारा अक्सर सबकी मदद करता था ।
वह कमजोर और बेसहारा जीवों को अपने घर में आसरा देता था ।
पटपारा बचपन से ही ऐसा करता चला आ रहा था ।
एक रात एक नन्हा - सा पक्षी - जानवर पटपारा के घर हांफते हुए आया ।
वह बहुत डरा हुआ था , क्योंकि ग्राउच उसके खून का प्यासा हो गया था ।
पटपारा ने तत्काल अपनी तलवार निकाली और आदमखोर ग्राउच से लड़ने के लिए चल दिया ।
दुष्ट ग्राउच और नन्हे पटपारा के बीच भयंकर युद्ध हुआ ।
यह युद्ध 30 दिनों तक चला ।
पटपारा ने ग्राउच पर अपनी तलवार से कई बार वार किया ।
ग्राउच जमीन पर गिर गया ।
लेकिन अगले दिन वह पुनः अपने पैरों पर खड़ा होकर पटपारा से लड़ने आ पहुंचा ।
बेचारा पटपारा धीरे - धीरे लड़ने की ताकत खोता जा रहा था ।
एक दिन उसने आदमखोर ग्राउच पर वार किया ।
ग्राउच घायल होकर घर लौट गया ।
पटपारा बहुत बहादुर था , लेकिन इस लड़ाई ने उसका मनोबल तोड़ दिया था ।
वह सोच रहा था कि ग्राउच कभी नहीं हारेगा ।
इसी दौरान पटपारा अपनी दादी से मिलने के लिए उनके घर चला गया ।
उसकी दादी बर्ला के पास दुनिया भर के सवालों के उत्तर थे ।
दादी ने पटपारा की कहानी सुनी और तुरंत उसे सुनहरे अंडे का राज बता दिया ।
उन्होंने कहा कि सुनहरा अंडा ऐसी जगह रखा है , जहां कोई नहीं जा सकता ।
जब पटपारा आदमखोर ग्राउच के घर पहुंचा , तो दिन ढल गया था ।
उसने घर का कोना - कोना देख लिया , लेकिन उसे सुनहरा अंडा कहीं नहीं मिला ।
तभी पटपारा को एक तिजोरी दिखाई दी ।
उसने अपनी पूरी ताकत से तिजोरी पर वार किया , लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ ।
चाबी के बिना उसे नहीं खोला जा सकता था । लेकिन पटपारा बहुत चतुर था ।
वह तिजोरी को जोर - जोर से हिलाकर धकेलने लगा ।
अचानक ग्राउच उस पर झपटा , लेकिन शीघ्र ही वह निढाल हो गया ।
ग्राउच ने विरोध करना चाहा , लेकिन उसका शरीर साथ नहीं दे रहा था ।
तभी नन्हे पटपारा ने तिजोरी को इतनी जोर से हिलाया कि सुनहरा अंडा उसके भीतर ही टूट गया ।
इस तरह दुष्ट आदमखोर ग्राउच मारा गया और पटपारा की जीत हुई ।