एक नर - गिलहरी अपने लिए अखरोट और नट्स इकट्ठा करने में लगा था ।
सर्दियों का मौसम आने वाला था ।
ऐसी स्थिति में अपने लिए भोजन एकत्र करना बहुत जरूरी था ।
वह किसी भी हाल में सर्दियों में भूखा नहीं रहना चाहता था ।
नर - गिलहरी एक छोटा - सा जानवर था ।
लेकिन उसके माता - पिता ने उसे चुस्ती - फुर्ती से सारे काम करना सिखाया था ।
यही चुस्ती - फुर्ती कठिन समय में भी उसकी सहायता करती थी ।
नर- गिलहरी अपने लिए भोजन इकट्ठा कर रहा था , जबकि नन्ही तितलियां फूलों से मकरंद जमा कर रही थीं ।
वे तितलियां चिल्ला भी रही थीं , “ जल्दी - जल्दी जमा करो ।
फूल सूख रहे हैं । हमें इसके बाद खाने को कुछ नहीं मिलेगा ।
सर्दियों का मौसम आ रहा है । "
एक दिन नर- गिलहरी ने अखरोट आदि जमा करने के बाद सोचा , ' लगता है कि मेरे पास शीत ऋतु के लिए काफी भोजन जमा हो गया है ।
इस साल मैं बड़े आराम से सो सकता हूं । '
अगले दिन लंबी शीत निद्रा में जाने से पहले नर - गिलहरी ने सोचा कि क्यों न मैं एक बार अपने स्टोर रूम को देख लूं कि उसमें कितना भोजन है ।
फिर उसने भीतर जाकर देखा ।
लेकिन ये क्या ! उसका स्टोर रूम तो खाली पड़ा था ।
कोई उसका सारा भोजन चुरा ले गया था ।
वह रोने लगा , “ अब क्या होगा ?
किसी ने मेरा सारा भोजन चुरा लिया ।
" वास्तव में उसके स्टोर रूम में एक नट तक नहीं बचा था ।
नर - गिलहरी की समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ ऐसा कौन कर सकता है ।
अब उसे दोबारा नये सिरे से मेहनत करनी पड़ेगी ।
भगवान का शुक्र है कि अभी सर्दियों का मौसम आने में थोड़ा समय है और काफी भोजन जमा किया जा सकता है ।
यह सोचकर उसने फिर से अपने लिए आहार जुटाना शुरू कर दिया ।
शीघ्र ही नर - गिलहरी का काम पूरा हो गया ।
लेकिन अगली रात फिर सब कुछ चोरी हो गया ।
यह सब लगातार बार - बार होता रहा ।
वह भोजन जमा करता और कोई उसे चुरा ले जाता ।
अब नर - गिलहरी बहुत थक गया था ।
एक रात उसने निश्चय किया कि अब वह चोर को पकड़कर ही दम लेगा ।
उस रात नर - गिलहरी अपने स्टोर रूम के पास छिप गया ।
कुछ देर बाद वह ' टांक ! टौंक !! ' की आवाज सुनकर चौंक पड़ा ।
नर- गिलहरी अपने छिपने के स्थान से बाहर आया और दबे पांव स्टोर रूम की ओर बढ़ा ।
वहां का दृश्य देखकर उसकी हैरानी की सीमा न रही ।
स्टोर रूम में भद्दी टांगों वाला , संतरी रंग का एक बौना राक्षस खड़ा था ।
उसकी आंखें हरे रंग की और नाक सूअर जैसी थी ।
उसके लंबे - बड़े दांत देखकर नर - गिलहरी को डर लग रहा था ।
वह बड़े आराम से सारे नट्स अपने थैले में भर रहा था ।
तभी नर - गिलहरी ने जोर से कहा , " ठहरो ! " बौना राक्षस अपने चेहरे पर बदसूरत - सी मुस्कान लिए मुड़ा और नर - गिलहरी पर झपटा ।
नर- गिलहरी समझ गया कि अब फुर्ती दिखाने का वक्त आ गया है ।
वह तत्काल बाहर की ओर भागा , ताकि जल्दी से मिस्टर कोबरा के घर पहुंच सके ।
वह उनके घर में घुसकर एक सोफे के पीछे दुबक गया ।
बौना राक्षस उसके पीछे - पीछे आ रहा था ।
तभी मौका पाकर चतुर नर- गिलहरी अपने घर वापस आ गया ।
बौना राक्षस उसे मिस्टर कोबरा के घर में ही खोज रहा था ।
नर- गिलहरी को मालूम था कि मिस्टर कोबरा बौने राक्षस को खाना अधिक
पसंद करते हैं और यह बात बौने राक्षस को नहीं मालूम थी ।