तारा के कमरे की हालत बहुत खराब थी ।
वह कोई काम शुरू करती , फिर उसे बीच में छोड़कर दूसरा काम करने लगती ।
इस तरह उसके कमरे में चारों ओर अधूरे काम के ढेर लगे रहते ।
इसके परिणाम स्वरूप जहां एक ओर फर्श पर मैले कपड़े दिखाई देते ,
तो वहीं दूसरी ओर शेल्फ से बाहर खिलौनों का ढेर लगा रहता ।
तारा अपनी किताबों को अपनी जगह पर नहीं रखती थी ।
पूरे कमरे और पलंग पर सामान पड़े रहते थे ।
वह उन्हें हाथ से एक ओर करके अपने लिए जगह बनाती और फिर सो जाती ।
तारा की मम्मी उससे कहतीं , “ तारा ! तुम अपने कमरे के सामानों को ठीक से रखा करो ,
वरना मगरमच्छ राक्षस आ जाएंगे । " लेकिन तारा उनकी कोई बात नहीं सुनती थी ।
एक रात , तारा ने हमेशा की तरह सामान परे करके पलंग पर अपने लिए जगह बनाई और लेटकर सो गई ।
उस रात उसे सपने में छोटी - लाल आंखों वाले बहुत से मगरमच्छ दिखाई दिए , जो पूरे कमरे में इधर - उधर घूम रहे थे ।
उन्होंने तारा
से कुछ नहीं कहा , हालांकि वे धीरे - धीरे कुछ बोल रहे थे ।
अगले दिन , तारा को रात में दिखा सपना तो याद था ,
लेकिन वह उसका मतलब नहीं समझ पाई ।
कुछ दिनों बाद तारा ने वही सपना फिर देखा ।
इस बार एक मगरमच्छ राक्षस तारा के सामने आया और उसे हैरानी से देखने लगा ।
कुछ राक्षस उसके पास जाना चाहते थे , लेकिन पास जाते - जाते हट गए ।
वे अब भी कुछ - न - कुछ बोल रहे थे ।
सचमुच ! यह बड़ा अजीब सपना था ।
कुछ दिन बीते । तारा को पुनः सपना दिखाई दिया , लेकिन इस बार वह पूरी तरह नहीं सोई थी ।
उसने अधनींदी आंखों से देखा कि उसके फैले हुए कपड़े , खिलौने और बाकी सामान सब मगरमच्छ राक्षसों में बदल गए हैं ।
इस बार उनके हाथों में छोटी - छोटी तलवारें भी थीं । वे तारा पर तलवारों से वार करने लगे ।
उन्होंने तारा को उसी के रिबन और बेल्ट से बांध दिया , ताकि वह हिल न सके ।
इसके बाद वे बोले , " मेरी नन्ही बच्ची ! सफाई रखो , सफाई रखो । "
यह सब देखकर तारा जोर - जोर से चिल्लाने लगी ।
उसको समझ में नहीं आ रहा था कि वे मगरमच्छ राक्षस कौन हैं ।
उसने जोर से पूछा , " कौन हो तुम लोग , मुझे क्यों परेशान कर रहे हो ?
” वे राक्षस बोले , “ तुमने ही तो हमें पैदा किया है ।
तुम कमरे में जो सामान फैला देती हो , हम उसी गंदगी से पैदा हुए हैं ।
अगर तुम अपने सामान संभालकर नहीं रखोगी , तो हम इसी तरह आते रहेंगे । "
उस रात राक्षसों की छोटी सी सेना ने तारा को बहुत सताया ।
वह मदद के लिए चिल्लाती रही , लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया ।
मगरमच्छ राक्षस लगातार अपनी बात दोहराते रहे ।
अगली सुबह , तारा ने बिस्तर से उठते ही अपने कमरे को अच्छी तरह साफ किया ।
अपने सभी खिलौनों को शेल्फ के अंदर रखा और अपनी किताबों को अलमारी में रखी ।
इसके बाद तारा को सपने में
कोई मगरमच्छ राक्षस नहीं दिखाई दिया ।
लेकिन उसे अब भी कभी - कभी सपने में सुनाई देता है , “ मेरी नन्ही बच्ची ! सफाई रखो , सफाई रखो । "
इस प्रकार तारा को हमेशा साफ - सुथरा रहने की प्रेरणा मिलती रहती है ।