“ गोगी ! गोगी !! "
सुजेन पागलों की तरह चिल्ला रही थी ,
लेकिन उसके प्यारे पिल्ले गोगी का कोई अता - पता नहीं था ।
गोगी को खोजते खोजते सुजेन राक्षस वाले जंगल में पहुंच गई ।
वह जगह बच्चों के लिए ठीक नहीं थी ।
जंगल का राक्षस उस जगह भटकने वाले बच्चों को अपने साथ ले जाता था और उन्हें अपना गुलाम बनाकर उनसे काम करवाता था ।
राक्षस उन बच्चों को कभी अपने घर वापस नहीं जाने देता था ।
वे बच्चे कभी अपने परिवार या मित्रों से नहीं मिल पाते थे ।
वे दुनिया के लिए गुमशुदा हो जाते थे ।
उन्हें गहरी गुफाओं में रखा जाता था ।
जंगल में भटकते भटकते सुजेन बहुत थक गई थी ।
उसने सोचा कि थोड़ी देर आराम कर लिया जाए ।
फिर वह वहीं घास पर लेटकर आराम करने लगी ।
तभी थकान की वजह से उसे नींद आ गई ।
जब सुजेन की आंखें खुलीं , तो लगभग शाम हो गई थी ।
चारों ओर अंधेरा छा रहा था । वह गोगी को याद करके रोने लगी ।
उसे भूख और प्यास भी लगी थी ।
तभी एक आवाज गूंजी , " ये कौन शोर मचा रहा है ? चुप रहो । "
तेज आवाज सुनकर सुजेन बहुत भयभीत हो गई ।
वह जोर - जोर से रोने लगी ।
जितनी तेज वह आवाज आती , सुजेन के रोने का स्वर भी उतना ही तेज हो जाता ।
उस तेज आवाज ने रोते हुए कहा , " मुझसे शोर सहन नहीं हो रहा है ।
कानों में दर्द होने लगा है । तुम चुप हो जाओ ।
" सुजेन ने कहा , " मेरे गोगी को खोजने में मदद करो ।
मैं उसे अपने साथ लिए बिना नहीं जा सकती । "
" उस तेज आवाज ने कहा , " वहीं ठहरो ! " सुजेन ने चिल्लाकर उसके बारे में पूछा , लेकिन कोई जवाब नहीं मिला ।
थोड़ी देर बाद उसे गोगी आता दिखाई दिया ।
वह पूंछ हिलाकर सुजेन का पैर चाटने लगा ।
वे एक - दूसरे के गले लग गए ।
सुजेन खुशी के मारे रोने लगी , “ धन्यवाद ! बहुत - बहुत धन्यवाद ! ”
तेज आवाज रोती हुई बोली , “ भगवान के लिए चुप हो जाओ । अब किस बात पर रो रही हो ? "
सुजेन ने जोर से पूछा , “ तुम कौन हो ? सामने तो आओ । ”
तभी एक पेड़ के तने के पीछे से एक झुर्रीदार बूढ़ा राक्षस बाहर आ गया ।
उसके बड़े - बड़े कान थे , जिनमें रुई लगी थी और कान से खून टपक रहा था ।
वह गोगी के आकार का था ।
सुजेन ने सोचा कि उसकी आवाज ज्यादा डरावनी थी ।
उसने हैरान होकर उस राक्षस से कहा , “ क्या तुम्ही जंगल के डरावने राक्षस हो ,
जिससे सब लोग डरते हैं ?
तुम मुझसे क्या चाहते हो ? "
वह रोते हुए बोला , “ हां , मैं इस जंगल का खतरनाक और डरावना राक्षस हूं ।
सारे जानवर और मनुष्य मुझसे डरते हैं ।
लेकिन तुम्हारे रोने - चिल्लाने की आवाज से मेरे कानों से खून निकलने लगा ।
" बूढ़ा राक्षस जंगल में वापस जाने से पहले बोला ।
उस दिन के बाद से जंगल से बच्चे गायब होने बंद हो गए ।
सुजेन ने अनजाने में ही अपने रोने की तेज आवाज द्वारा एक भयंकर और खतरनाक राक्षस को भगा दिया था ,
जो बच्चों को चुरा लेता था ।
अब वह जंगल बच्चों के खेलने की जगह बन गया था ।