सोह ली अपनी दादी मां से मिलना चाहती थी ।
वे हिमालय पर रहती थीं ।
उनके घर तक जाने के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ती थी ।
लेकिन सोह ली अपनी दादी से मिलने की जिद पर अड़ी रही ।
स्कूल बंद होते ही सोह ली ने यात्रा आरंभ कर दी ।
यह एक लंबी यात्रा थी ।
सोह ली को पहले विमान एवं बस से और फिर पैदल यात्रा करनी पड़ी ।
दादी मां एक ऐसे इलाके में रहती थीं , जहां किसी भी वाहन से जाना असंभव था ।
सोह ली ने बर्फीले रास्ते पर चलते हुए सोचा , ' कितनी शांत और सुंदर जगह है । '
तभी उसे एक तेज दहाड़ सुनाई दी , " कौन जा रहा है ।
वहीं ठहर जाओ । तुम आगे नहीं जा सकतीं । "
यह कहते हुए एक बड़ा सा राक्षस चट्टान के पीछे से बाहर आ गया ।
वह एक विशाल ओक वृक्ष की तरह था ।
उसके पैर , सोह ली की बाजुओं के समान थे ।
उसकी आंखें बड़ी और लाल थीं , जबकि नाक भालू के समान थी ।
उसके राक्षसों जैसे भयानक
दांत और बंदर जैसे छोटे कान देखकर बहुत डर लग रहा था ।
उस राक्षस की बाजुएं घुटनों तक लंबी थीं ।
वह किसी गोरिल्ला की तरह खड़ा था ।
उसके शरीर के सफेद बाल बर्फ के साथ मिलकर एक जैसे लग रहे थे ।
उस बर्फीले राक्षस को देखकर सोह ली डर के कारण कांप उठी , लेकिन वह अपनी दादी मां से मिलने के लिए बहुत बेचैन थी ।
अतः उसने तेजी से भागना शुरू कर दिया ।
तब वह बर्फीला राक्षस उसका पीछा करने लगा ।
वह जितनी तेजी से भागती , राक्षस भी उतनी ही तेजी से उसके पीछे दौड़ने लगता ।
सोह ली ने सोचा , ' मुझे इस राक्षस को हटाना ही होगा ।
अगर यह मेरा पीछा करते - करते दादी मां के घर तक पहुंच गया , तो उनके लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है ।
' यह सोचकर सोह ली अपनी दोनों बांहें उठाकर बीच रास्ते में खड़ी हो गई और बर्फीले राक्षस से बोली , “ अच्छा , मैं हार गई ।
प्लीज , मेरी दादी मां को परेशान मत करना । "
सोह ली की बात सुनकर राक्षस आगे आया और उसे कसकर गले से लगा लिया ।
उसने सोचा कि सोह ली उसे गले लगाना चाहती है , इसलिए उसने अपनी दोनों बांहें फैलाई थीं ।
सोह ली ने भी अपनी नन्ही बांहें राक्षस की पीठ पर लपेट दीं ।
और उसे गले से लगा लिया ।
राक्षस बोला , “ शुक्रिया ! " फिर वह चेहरे पर स्नेह भाव लिए वहीं बैठ गया ।
“ मैं कई वर्षों से बहुत अकेला हूं ।
” राक्षस बोला , “ तुमने मुझे कितने प्यार से गले लगाया ।
मुझे जीवन में कभी किसी ने इतना प्यार नहीं किया ।
क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी ? "
राक्षस की आंखों में खुशी के आंसू थे ।
सोह ली ने उसे प्यार से देखा और बोली , “ हां , क्यों नहीं ।
आज से हम - तुम पक्के दोस्त हो गए ।
मैं तुम्हें अपने देश की कहानियां सुनाऊंगी । "
अब सोह ली को दादी मां के घर जाने का एक अन्य कारण मिल गया था ।
वह अवकाश मिलते ही दादी मां और अपने नये राक्षस दोस्त से मिलने चली जाती थी ।
बर्फीला राक्षस भी सदैव उसके आगमन की प्रतीक्षा करता रहता था ।