एनाबेल एक उदास बच्ची थी ।
उसका कोई दोस्त नहीं था ।
इस कारण उसके माता - पिता वह शहर छोड़कर दूसरे शहर चले गए ।
उन्होंने सोचा कि शायद वह नई जगह कुछ दोस्त बना सके ।
एनाबेल का परिवार एक विशाल घर में पहुंच गया , जो एक महल जैसा दिखाई देता था ।
उस घर के निचले हिस्से में चार कमरे थे और ऊपर एक बड़ी - सी अटारी थी ।
जिस दिन वे पहुंचे , एनाबेल पूरे घर को देखने लगी ।
उसे घर के पीछे एक बड़ा बाग और जंगल दिखाई दिया ।
उस रात जब वह अपने बिस्तर पर लेटी , तो उसे कुछ खुरचने की आवाज सुनाई दी ।
वह आवाज छत से आ रही थी ।
उसकी समझ में नहीं आया कि वह कैसी आवाज थी ।
उसने दोनों हाथों से अपने कान ढके और सो गई ।
वह बहुत थकी हुई थी ।
अगली रात फिर ‘ किरच ! किरच ! ' जैसी आवाज आने लगी ।
एनाबेल सोचने लगी कि यह आवाज किसकी हो सकती है ।
उसने अपना सिर कंबल से ढककर सोना चाहा ।
उसे बहुत डर लग रहा था ।
आगामी दो रातों में भी यही हुआ ।
एनाबेल ने यह बात अपने घर में किसी को नहीं बताई कि वह रात में सो नहीं पा रही है ।
वह उस जगह को खोजना चाहती थी , जहां से खुरचने की आवाज आती है ।
एनाबेल को उस जगह जाने में डर लग रहा था , क्योंकि उसे यह नहीं मालूम था कि वहां क्या है ।
अगली सुबह एनाबेल पूरी बहादुरी से उस अटारी में गई ।
वहां उसे एक कोने में अकेला बैठा राक्षस दिखाई दिया , जो अपने नाखूनों से फर्श खुरच रहा था ।
वह डरावना कम और उदास ज्यादा लग रहा था ।
एनाबेल ने उस राक्षस को कुछ फल और रोटी आदि लाकर दिए ।
फिर उसने उसे पानी पिलाया ।
जब राक्षस पूरी तरह संतुष्ट हो गया , तो एनाबेल ने उससे पूछा कि क्या वह उसके साथ खेलना चाहता है ?
राक्षस ने एनाबेल की बात सुनकर ' हां ' में गर्दन हिलाई ।
फिर वे दोनों मिलकर गेंद खेलने लगे ।
उसी दिन से एनाबेल को एक दोस्त मिल गया , जो हमेशा उसके साथ रहता है ।
अब वह उदास नहीं रहती ।
उदास राक्षस भी खुश रहने लगा ।
दोनों साथ - साथ खेलते हैं ।