प्यारी - सी मिस लोरना के पास दर्जनों पालतू तोते थे ।
जब भी कोई व्यक्ति उसके घर आता , तो सभी तोते मिलकर ' टें - टें करने लगते ।
वे इतना शोर मचाते कि आपस में बात करना भी मुश्किल हो जाता ।
मिस लोरना अपना ध्यान तक नहीं रख पाती थी - गंदे एवं बिखरे बाल , कपड़ों की उधड़ी हुई सिलाई और
पैरों में अलग - अलग रंग की जुराबें !
लेकिन वह हमेशा मुस्कराती रहती थी और सबका हंसकर स्वागत करती थी ।
इसलिए कोई भी व्यक्ति उसके इस अजीब पहनावे का बुरा नहीं मानता था ।
मिस लोरना के पड़ोस में मिस्टर जोंस रहते थे ।
वे अत्यंत सनकी आदमी थे ।
उन्हें मिस लोरना के तोते बिल्कुल पसंद नहीं थे , इसलिए मिस लोरना भी उन्हें अच्छी नहीं लगती थी ।
जब भी वे उसके घर के सामने से गुजरते , तो अपनी मुट्ठियां भींच लेते और हर मिलने - जुलने वाले व्यक्ति से यह कहते , “ मिस लोरना का दिमाग खराब हो गया है ।
इसके तोते सारा दिन इतना शोर मचाते हैं कि मैं कोई भी काम आराम से नहीं कर पाता ।
अगर मेरे पास रहने के लिए कोई दूसरी जगह होती , तो मैं यह कॉलोनी छोड़कर चला गया होता । "
मिस्टर जोंस सारा दिन ऐसे उपाय सोचा करते कि मिस लोरना अपने तोते लेकर किसी दूसरी जगह चली जाए ।
एक दिन उन्हें एक उपाय सूझ ही गया ।
हालांकि इस उपाय को अपनाने पर उनके पैसे खर्च होते , लेकिन वे थोड़े दिन चैन की सांस लेने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे ।
उन्होंने निश्चय किया कि वे मिस लोरना को छुट्टी मनाने कहीं भेज देंगे , तब उसे अपने तोते भी साथ ले जाने पड़ेंगे ।
इस तरह मिस्टर जॉस ने समुद्र के किनारे बने एक होटल का टिकट लिया और मिस लोरना को डाक से भेज दिया ।
फिर उन्होंने फोन करके बताया कि उसे एक महीने के लिए होटल में रहने का इनाम दिया जा रहा है । उन्होंने अपना नाम नहीं बताया ।
लेकिन मिस लोरना ने उनकी आवाज पहचान ली और तय कर लिया कि वह भी एक चाल चलेगी ।
जिस दिन रेलवे स्टेशन जाना था , उस दिन मिस लोरना ने अपना सामान और बैग टैक्सी में रखा ।
इसके बाद वह दो बड़े पिंजरों में अपने सभी तोते लेकर घर से बाहर निकली ।
मिस्टर जोंस मिस लोरना को खिड़की से देख रहे थे । वे बहुत खुश थे ।
उन्होंने सोचा कि तोते उसके साथ जाएंगे ।
लेकिन जब उन्होंने उसे पिंजरों सहित अपने घर की ओर आते देखा , तो उनके होश उड़ गए ।
मिस्टर जोंस के घर की घंटी दो बार बजी ।
उन्होंने दरवाजा खोला , तो मिस लोरना बाहर खड़ी थी ।
वह बोली , “ मिस्टर जोंस ! क्या आप मेरे वापस आने तक मेरे तोतों की देखरेख कर सकेंगे ? "
बेचारे मिस्टर जोंस कोई जवाब न दे सके । " मैं तोते ... आपके पक्षी । " वे हकलाते ही रह गए और मिस लोरना ' टाटा ' करके चली गई ।
अब मिस्टर जोंस सोच रहे थे कि उनका उपाय उनके ही गले आ पड़ा है ।
वे बुदबुदा उठे कि अब तो इन तोतों का शोरगुल उन्हें बर्दाश्त करना ही पड़ेगा ।
जब मिस लोरना एक माह बाद वापस आई , तो उसने देखा कि मिस्टर जोंस उसके तोतों को बहुत प्यार से रखे हुए थे ।
मिस लोरना बहुत खुश हुई और उन्हें गले से लगा लिया ।
वह बोली , " मिस्टर जोंस ! आप कितने अच्छे और नेकदिल हैं । आपने मेरे तोतों का कितना ध्यान रखा ।
मैं यह जानती हूं कि मेरे होटल का खर्च भी आपने ही दिया था । "
इस घटना के बाद मिस्टर जोंस और मिस लोरना के बीच दोस्ती हो गई ।
कुछ समय बाद दोनों ने विवाह कर लिया ।
अब मिस लोरना के बजाय मिस्टर जोंस तोतों का ज्यादा ध्यान रखते हैं ।
उन्हें भी पालतू पक्षियों से प्यार करना आ गया है ।
वे उन्हें दाना डाले बिना स्वयं खाना नहीं खाते ।
दोनों मिलकर उन तोतों की देखभाल करते हैं ।