हंसों की रखवालिन राजकुमारी

बालिकाओं की शिक्षा दायक कहानी

बहुत समय पहले की बात है ।

किसी राजकुमारी की शादी एक राजकुमार से तय हो गई , जो उसके राज्य से बहुत दूर रहता था ।

राजकुमारी को एक दासी , बोलने वाला घोड़ा फालदा और बहुत से हीरे - मोती एवं धन दौलत के साथ उसके होने वाले पति के घर रवाना कर दिया गया ।

उनके यहां ऐसी ही परंपरा चली आ रही थी ।

राजकुमारी की दासी बहुत निर्दयीं और दुष्ट स्वभाव की थी ।

वह नहीं चाहती थी कि राजकुमारी किसी दूसरे देश की रानी बने ।

रास्ते में राजकुमारी स्नान करने के लिए रुकी ।

जब वह नहा रही थी , तो दासी ने उसके कपड़े पहन लिए और राजकुमारी बनकर घोड़े पर बैठ गई ।

अब राजकुमारी के पास दासी के कपड़े पहनने और दासी बनने के सिवा कोई उपाय नहीं था ।

फालदा ने यह सब देखा , लेकिन वह कुछ न कर सका ।

जब वे लोग राजकुमार के राज्य पहुंचे , तो दासी को अच्छे कपड़ों के कारण राजकुमारी और राजकुमारी को दासी मान लिया गया ।

राजकुमार दासी राजकुमारी को अपने साथ महल में ले गया ।

राजा ने असली राजकुमारी को गंदे कपड़ों में देखकर पूछा , " यह कौन है ?

" दासी राजकुमारी बोली , “ महाराज ! यह मेरी नौकरानी है ।

इसे कोई काम दे दीजिए । "

राजा ने असली राजकुमारी को कोनराड नामक लड़के के साथ काम पर लगा दिया ।

कोनराड उनके हंसों का रखवाला था । इस तरह असली राजकुमारी हंसों की रखवालिन बन गई ।

इधर दासी को डर था कि कहीं फालदा सच न बोल दे ।

अतः उसने राजकुमार को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि उसके साथ आए घोड़े को मार डाला जाए ।

राजकुमार उस मूक जानवर को मारना नहीं चाहता था , लेकिन शादी से पहले कहीं वह नाराज न हो जाए , इसलिए उसने हामी भर दी ।

इधर जब असली राजकुमारी को इस बात का पता चला तो उसने पैसे देकर कसाई को रोक दिया और फालदा की जान बचा ली ।

उसने उसे शहर के बाहर एक मैदान में छिपा दिया ।

जब भी वह कोनराड के साथ तालाब पर हंसों को पानी पिलाने ले जाती , तो वह रास्ते में फालदा से बातें करती ।

फालदा उसकी स्थिति पर दुख व्यक्त करता ।

राजकुमारी अपने लंबे - सुनहरे बालों की चोटी करना चाहती थी , लेकिन वह नहीं चाहती थी कि कोनराड उसके बाल देखे ।

अतः उसने जादू करके कोनराड की टोपी को हवा में उड़ा दिया ।

जब वह अपनी टोपी लेकर वापस आया , तो राजकुमारी अपने बाल बांध चुकी थी ।

कोनराड बहुत दिनों से राजकुमारी के बालों की सुनहरी लट लेना चाहता था ।

जब उसे मौका नहीं मिला , तो वह गुस्सा हो गया । उसने जाकर राजा

को बता दिया कि वह घोड़े से बातें करती है ।

उसने उसका टोप भी हवा में दूर उड़ा दिया था ।

जब राजा को यह बात पता चली तो उसने राजकुमारी को अपने पास बुलाया और बोलने वाले घोड़े के बारे में पूछा ।

लेकिन राजकुमारी बहुत डरी हुई थी ।

वह राजा को सब कुछ बताना चाहती थी , परंतु उसके मुंह से आवाज तक न निकली ।

राजा बड़ा अनुभवी था ।

वह समझ गया कि कोई न कोई बात अवश्य है ।

उसने कहा , " ठीक है , तुम इस चूल्हे से सब कुछ बता दो ।

मैं बाद में इससे पूछ लूंगा । अब मैं जाता हूं । "

राजकुमारी ने राजा के जाने के बाद चूल्हे को सब कुछ सच - सच बता दिया ।

उसने कहा कि दासी के कपड़ों में वही असली राजकुमारी है ।

दासी उसके साथ धोखा करके राजकुमारी बन गई और उसके घोड़े को भी खत्म करवाना चाहा ।

उसने घोड़े का पता भी बता दिया । राजा ने चिमनी द्वारा सारी बातें सुन लीं ।

वह स्वयं राजकुमारी के साथ घोड़े को लेने गया ।

राजकुमारी की बात सच साबित हुई । उसने दासी को जेल में डाल दिया ।

फिर राजकुमार की शादी राजकुमारी से हो गई और वे खुशी - खुशी रहने लगे ।