एक बार की बात है ।
किसी बाग में सूरजमुखी का एक लंबा - सा पौधा था , जो एक बूढ़ी औरत का था ।
उस पौधे पर हमेशा एक ही फूल बहुत खूबसूरती से खिला रहता था ।
रोजाना एक काली सुनहरी तितली उस फूल के पास जाकर मंडराने लगती ।
फूल भी झूम - झूमकर उसका स्वागत करता ।
एक दिन आकाश में काले बादल घिर आए और वर्षा की बड़ी - बड़ी बूंदें गिरने लगीं ।
बूंदों से फूल की पंखुड़ियां झरों और धरती पर गिर गई ।
तभी ऐसा लगा कि दिन ढल गया हो ।
सूरज का कोई पता नहीं था ।
तितली भी वहां नहीं थी , क्योंकि वह गीले पंखों के साथ उड़ नहीं सकती थी ।
कुछ देर बाद जब बारिश रुकी , तो सूरज निकल आया और आकाश में रंग - बिरंगा इंद्रधनुष दिखाई देने लगा ।
जब सूरजमुखी के फूल ने इंद्रधनुष के रंग देखे , तो वह उन पर मोहित हो उठा ।
काश ! मेरे पास भी इतने सारे रंग होते ! ” सूरजमुखी बोला ।
लेकिन सूरजमुखी यह नहीं जानता था कि उस बाग की मालिकिन बूढ़ी औरत उसकी बात सुन रही थी ।
वह यह भी नहीं जानता था कि बूढ़ी औरत के पास विचित्र जादुई शक्तियां थीं ।
सूरजमुखी का मन करता था कि उसके पास भी सारे रंग हो जाएं ।
वह किसी दिन लाल रंग का हो जाता , तो किसी दिन नीले रंग में खिलता ।
सूरजमुखी ने अपने जीवन में कभी इतने सारे रंग नहीं देखे थे ।
उन रंगों को देखकर उसकी आंखें चमक उठीं ।
जब फूल की पंखुड़ियां सूखीं , तो वह फिर से धूप की रोशनी में सीधा खड़ा हो गया ।
लेकिन उसी समय एक विचित्र सा जादू हुआ ।
उस सूरजमुखी से एक नन्ही परी बाहर आई , जो इंद्रधनुष के रंगों की पोशाक पहने हुए थी ।
उसने अपने सिर पर जामुनी रंग की टोपी पहन रखी थी ।
उसके पंख बहुत सुंदर थे । उस दिन जब तितली अपने फूल से मिलने आई , तो उसने वहां
परी को देखा । इससे पहले तितली ने परियों के बारे में सिर्फ सुन रखा था , लेकिन उन्हें देखा कभी नहीं था ।
इसलिए तितली यह नहीं जानती थी कि परियां कैसी होती हैं ।
अतः तितली ने परी से पूछा , " हैलो ,
तुम कौन हो ? " परी ने मुस्कराकर उत्तर दिया , “ तुम नहीं जानतीं दोस्त , मैं सूरजमुखी परी हूं । "
इसके बाद सूरजमुखी परी अपने बारे में विस्तारपूर्वक बताने लगी ।
उसने कहा कि सूरजमुखी फूल के निकलने पर ही वह यहां आती है ।
तब तितली को मालूम हुआ कि परियों के दो पंख होते हैं और परीलोक से पृथ्वी पर आने के लिए उन्हें परियों की रानी से अनुमति लेनी पड़ती है ।
फिर तितली और सूरजमुखी परी में गहरी दोस्ती हो गई ।
अब वे बड़े आनंद से बाग में इधर उधर घूमतीं और आपस में बातें करतीं ।
एक - दूसरे से बिछड़ना उनके लिए मुश्किल हो जाता था ।
बूढ़ी औरत को भी उन्हें इस तरह देखना बहुत अच्छा लगता था ।
वह जानती थी कि एक दिन सूरजमुखी का फूल मुरझा जाएगा , लेकिन शीघ्र ही एक दूसरा फूल उग आएगा ।
इस तरह परी के पास रहने के लिए हमेशा एक घर बना रहेगा ।