लेनी बहुत आलसी लड़की थी ।
उसके घर के लोग और स्कूल के अध्यापक लेनी के आलसीपन से परेशान हो गए थे ।
वह सुबह देर से सोकर उठती , बहुत धीरे - धीरे अपने कपड़े बदलती और नाश्ता करते समय मेज पर रखा खाने - पीने का सामान गिरा देती ।
वह अक्सर स्कूल का काम करना भी भूल जाती थी ।
उसके पलंग का सारा सामान इधर - उधर बिखरा
रहता था । खिलौने चारों तरफ यूं ही पड़े रहते थे ।
वह उन्हें उठाकर कभी सही जगह नहीं रखती थी ।
एक दिन लेनी के खिलौनों ने देखा कि उसकी थकी हुई मम्मी पूरे कमरे का सामान ठीक से रखते हुए बड़बड़ा रही थी , “ काश ! यह लड़की किसी तरह सुधर जाती ।
" खिलौनों को लेनी का आलसीपन बहुत बुरा लगा ।
उन्होंने तय किया कि वे लेनी को सुधारने के लिए कोई न कोई उपाय अवश्य करेंगे ।
उस दिन सभी खिलौनों ने आपस में एक मीटिंग की ।
गंदे हो चुके भूरे रंग के एक भालू को मुखिया बनाया गया ।
बाकी सभी खिलौने - एक जूते वाली नाविक गुड़िया , एक आंख पर पट्टी वाला समुद्री डाकू ,
चाबी वाला चूहा , उखड़े हुए लाल रंग वाली मोटर कार , चिमनी वाला इंजन और जोकर के मुंह वाली घड़ी उसके आसपास घेरा बनाकर बैठ गए ।
सभी खिलौने बहुत उदास थे , क्योंकि वे कोई उपाय नहीं कर पा रहे थे ।
अचानक चूहे को एक उपाय सूझ गया ।
वह उठकर बोला , “ मैं जानता हूं कि कौन - सा तरीका अपनाया जाए ।
" फिर चूहे ने घड़ी से कहा , " जब भी लेनी आलस दिखाए , तो तुम तब तक घंटी बजाती रहना , जब तक उसे एहसास न हो जाए कि अब क्या काम करना है ।
" घड़ी ने ऐसा ही करने की हामी भर दी ।
अगले दिन से खिलौनों ने अपना हमला शुरू कर दिया ।
सुबह घड़ी बहुत तेजी से बजने लगी ।
तब लेनी एक झटके से उठ गई और उसने घड़ी को हाथ मारकर बंद करना चाहा , लेकिन वह लगातार बजती रही ।
तब लेनी खुद को घसीटकर बाथरूम तक ले गई , फिर वह ब्रश करके और नहाकर बाहर आई ।
तभी वह घड़ी फिर से बजने लगी ।
लेनी नाश्ता करने भागी । उसने फिर घड़ी की आवाज सुनी ।
ऐसा लग रहा था , मानो घड़ी उसे हर काम की याद दिला रही हो ।
उसने अपना बैग उठाया और स्कूल बस की ओर भागी ।
उसे समय पर आता देखकर बस के चालक को बहुत हैरानी हुई ।
लेनी रोजाना देर से आती थी और कई बार तो बस भी छूट जाती थी ।
आज वह दूसरे
बच्चों से बहुत पहले आ गई थी ।
उसे बुलाने के लिए चालक को बस का हॉर्न भी नहीं बजाना पड़ा था ।
उस दिन लेनी को स्कूल में नींद - सी आती रही ।
जब वह घर पहुंची , तो सोने का मन कर रहा था , लेकिन स्कूल में बहुत - सा काम मिला था ।
वह ज्यों ही सोने लगी , तो उसकी घड़ी फिर से बज उठी ।
लेनी ने सोचा , ' हे भगवान ! अभी सोने से तो बेहतर होगा कि मैं पहले नहाकर अपना होमवर्क कर लूं ।
" लेनी को अपने - आप स्कूल का काम करते देखकर मम्मी हैरान हो रही थीं ।
उस रात जब वह खाने की मेज पर आई , तो उसके बाल संवरे हुए थे , उसकी कमीज निक्कर के अंदर थी और उसने खाते समय कुछ भी नहीं गिराया था ।
आज किसी को खाना खाने के लिए उसे बार - बार बुलाना नहीं पड़ा ।
मम्मी- 1- पापा उसका बदला हुआ व्यवहार देखकर हैरान हो गए ।
वे नहीं जानते थे कि यह सब तो लेनी के जादुई खिलौनों का कमाल था ।
लेनी का कमरा अब साफ रहने लगा था ।
स्कूल में सभी लोग लेनी को पसंद करने लगे और उसे स्कूल में प्रथम पुरस्कार भी मिला ।