आंटी कोरा की छुट्टियां

आंटी कोरा की उम्र बहत्तर साल थी ।

एक दिन उन्होंने तय किया कि वे छुट्टियां मनाने जाएंगी ।

यह बात सुनकर परिवार में हड़कंप मच गया , क्योंकि सभी को उनके जाने की तैयारियों में लगा दिया गया था ।

पापा को आंटी कोरा के लिए टिकटें खरीदनी थीं और मम्मी को उनके लिए कपड़े खरीदने थे ।

अंकल बॉब को एक अच्छा होटल देखने को कहा गया था ।

आंटी केरन को उनके साथ जाने वाली एक नौकरानी खोजनी थी ।

डिक को उनके लिए एक अच्छा सा सूटकेस लाना था , ताकि सूसन कपड़े पैक कर सके ।

जुड़वां बच्चों- केन और जिल को भी बहुत से छोटे - मोटे काम करने थे ।

उन्हें पड़ोसियों को भी दावत देनी थी , ताकि वे दावत के बाद आंटी कोरा को रेलवे स्टेशन तक छोड़ आएं ।

पूरे दो सप्ताह अक भारी उथल - पुथल मची रही ।

तरह - तरह के लोग घर में आते - जाते रहे ।

जब एजेंट टिकट लेकर आया , तो आंटी कोरा ने बेतुके सवाल पूछ - पूछकर उसका दिमाग खराब कर दिया ।

उनके लिए एक टैक्सी बुक करवाई गई ।

मेहमानों के लिए भी टैक्सियों का इंतजाम किया गया , जो उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाने वाले थे ।

इसके अलावा नौकरानी के लिए बड़ी गाड़ी बुक करवाई गई , ताकि वह उसमें सारा सामान ले जा सके ।

जुराबें नहीं मिल रही थीं , जिल को जुराबें लेने जाना पड़ा ।

अचानक आंटी कोरा का चश्मा टूट गया और अंकल बॉब उसे ठीक करवाने के लिए दौड़े ।

मम्मी और आंटी केरन उनके साथ जाने वाला खाने का सामान बेक कर रही थीं ।

पापा ने कहा , " आंटी कोरा ! आप होटल में रहने जा रही हैं ।

वहां हर चीज मिलती है । " लेकिन आंटी कोरा को लगता था कि वे किसी जंगल में जा रही हैं , जहां उन्हें कुछ नहीं मिलेगा और वे दुर्बल हो जाएंगी ।

आखिर में दावत वाला दिन आ ही गया ।

सारे पड़ोसी उन्हें अपनी शुभकामनाएं देने पहुंच गए ।

वे उनके लिए कई तरह के उपहार लाए थे ।

उस दिन आंटी कोरा को शहद से भरा जार , घर में बना केक तथा लाल रंग का स्कार्फ और दस्ताने उपहार में मिले ।

मम्मी और आंटी केरन ने मिलकर उनके लिए बहुत स्वादिष्ट पकवान - सैंडविच , केक , जैली , कुकीज और एप्पल पाई आदि तैयार किए थे ।

दावत खत्म होने के बाद सभी लोग आंटी कोरा को छोड़ने स्टेशन गए ।

उन्हें उनके कोच में बिठाया गया और उनकी नौकरानी को भी उसकी सीट बता दी गई ।

सभी लोगों ने गले मिलकर उन्हें विदाई दी ।

तभी अचानक आंटी कोरा जोर - जोर से रोने लगीं ।

सबने सोचा कि शायद उन्हें कहीं चोट आई है या वे अपना कोई सामान घर में भूल आई हैं ।

सबने आंटी कोरा से रोने का कारण जानना चाहा , लेकिन वे कुछ बोल ही नहीं रही थीं ।

आंटी कोरा रोते हुए बोलीं , “ तुम सब मुझसे कितना प्यार करते हो ।

तुम्हें मेरी बहुत याद आएगी । " तभी गाड़ी की सीटी बजी और उन्हें सीट पर बिठाया गया ।

अगले ही पल गाड़ी चलने लगी । सबने जल्दी - जल्दी नीचे उतरकर उन्हें ' टाटा ' किया ।

वे नम आंखों के साथ हाथ हिलाती रहीं ।

सभी लोग घर आकर सोफों पर पसर गए ।

आंटी कोरा जा चुकी थीं और पूरे परिवार की असली छुट्टियां अब शुरू हुई थीं ।