नन्हे दोस्त का उपहार

एक बार एक दर्जी और एक सुनार साथ - साथ यात्रा पर निकले ।

एक रात उन्हें कहीं से नाचने - गाने की आवाज सुनाई दी ।

वे दोनों उस आवाज का पीछा करते - करते एक पहाड़ी तक पहुंच गए ।

वहां का नजारा निराला ही था ।

चंद्रमा की रोशनी में बहुत से नाटे स्त्री - पुरुष घेरा बनाकर नाच रहे थे ।

घेरे के बीच में एक ठिगना बूढ़ा बैठा हुआ था ।

जब उसने दर्जी और सुनार को देखा , तो दोनों डर गए ।

लेकिन उसने उन्हें इशारे से अपने पास बुलाया और अपने घेरे में नाचने को कहा ।

सुनार और दर्जी पहले तो संकोच करते रहे , फिर उन्हें वहां नाचने - गाने में बहुत मजा आने लगा ।

तभी अचानक ठिगने बूढ़े ने अपनी जेब से चाकू निकाला और उनके सिर के बाल काट लिए , मगर उन्हें पता ही नहीं चला ।

एक मिनट में दोनों गंजे हो गए थे ।

यह देखकर दर्जी और सुनार घबरा गए ।

वे भागना चाहते थे , लेकिन ठिगने बूढ़े ने कोयले के ढेर की ओर इशारा करते हुए उनसे कहा , “ जितना जी चाहे , ले लो । "

दर्जी और सुनार को कोयला क्या करना था , लेकिन उन्हें ठिगने बूढ़े की बात माननी पड़ी ।

उन्होंने तुरंत अपनी - अपनी जेबों में कुछ कोयले भरे और वहां से भाग लिए ।

जब दोनों सराय में पहुंचे , तो बहुत थक चुके थे ।

इसलिए जाते ही सो गए ।

वे लोग बुरी तरह चकराए हुए थे ।

सुबह जब उनकी आंख खुली तो वे एक - दूसरे को देखकर काफी हैरान हो गए ।

उनके सिर पर पहले से ज्यादा काले और घने बाल आ गए थे ।

अब उन्होंने अपनी जेबें टटोलीं । वे कोयले के बजाय सोने से भरी थीं ।

लेकिन सुनार बहुत लालची था ।

उस शाम उसने निश्चय किया कि वह दर्जी को बताए बिना दोबारा उसी जगह जाएगा , ताकि अधिक सोना ला सके ।

रात को जब दर्जी सो गया , तो सुनार वहां जा पहुंचा ।

वहां पिछली रात की तरह नाच - गाना चल रहा था ।

वह उन लोगों के साथ नाचता रहा , फिर ठिगने बूढ़े ने उसके बाल काट लिए ।

जब बूढ़े ने कोयला ले जाने को कहा , तो उसने दो थैलों में उन्हें भर लिया ।

वह बहुत खुश था । सुनार सराय में लौटकर सो गया ।

दर्जी चुपचाप उसे देखता रहा ।

अगले दिन सुबह जब सुनार ने आईना देखा , तो उसके होश उड़ गए ।

ये क्या ! उसका सिर तो गंजा ही था और उसकी पीठ पर एक बड़ा सा कूबड़ भी निकल आया था ।

सुनार चिल्लाते हुए बोला , " धोखा हो गया , मेरे साथ धोखा हो गया ।

" दर्जी ने पूछा , " तुम्हारी ये हालत कैसे हो गई ?

रात में तो तुम्हारे सिर पर बहुत से बाल थे ? " सुनार ने उसे सब कुछ बता दिया ।

उसका पिछला सोना भी कोयला हो गया था ।

दर्जी ने अपना सोना उसके साथ बांट लिया , लेकिन सुनार को गंजेपन और कूबड़ के रूप में लालच का फल मिल गया था ।