जिम्मी और लॉरा अपने कमरे में एक दूसरा पलंग लगा रहे थे ।
कुछ दिनों के लिए उनका चचेरा भाई रॉन अपने पिता के साथ वहां रहने आ रहा था ।
रॉन के पिता अंकल केन किसी कॉलेज में प्रोफेसर थे ।
वे अपने भुलक्कड़पन के लिए काफी प्रसिद्ध थे ।
बच्चे पहले भी उनके बहुत से किस्से सुन चुके थे ।
जब मम्मी ने उन्हें अंकल केन की आदत के बारे में बताया , तो वे खुश हो गए ।
बच्चे सोच रहे थे कि अंकल केन के साथ रहने में बहुत मजा आएगा ।
अगली सुबह अंकल केन अपनी कार में रॉन के साथ आ गए ।
उनके साथ बहुत से सूटकेस भी थे ।
कार से उतरते ही वे एक सूटकेस में कुछ ढूंढ़ने लगे ।
उन्हें एक किताब की आवश्यकता थी , जिसे वे तुरंत सूटकेस से निकालना चाहते थे ।
अंकल केन ने एक - एक करके सभी सूटकेस खोलने शुरू कर दिए ।
कभी किसी सूटकेस की चेन खोलते , तो कभी अपनी जेबों में कुछ टटोलने लगते ।
किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था ।
अगर अंकल केन किताब खोज रहे थे , तो वह उन्हें अपनी जेबों में कैसे मिल सकती थी ।
एक बार तो उन्होंने रॉन की जेबें भी देख लीं , फिर अपना सिर खुजाने लगे ।
उन्होंने कहा , “ मैं बच्चों के लिए एक किताब लाया था , जिसमें तितलियों और कीटों के बारे में बहुत रोचक जानकारियां हैं ।
मैं बच्चों को कई अन्य किताबें भी दूंगा , जो बहुत अच्छी हैं ।
" फिर उन्होंने वहीं सारा सामान बिखेर दिया और किताब मिलने पर ही चैन की सांस ली ।
बच्चों ने अंकल केन को धन्यवाद दिया और किसी तरह घर के अंदर ले गए ।
बच्चों के पापा सारा सामान उठाकर घर के अंदर ला रहे थे ।
उन्होंने अंकल केन के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था की थी ।
वे जानते थे । कि अंकल केन के सामानों के साथ अक्सर गड़बड़ी हो जाती है ।
अगर वह अकेले रहेंगे , तो उनका सामान किसी दूसरे के सामान के साथ नहीं मिलेगा ।
सबने बड़े आराम से दोपहर का खाना खाया ।
शाम को बच्चे पार्क में खेलने चले गए ।
वे पेड़ों पर चढ़े , सेब खाए और एक - दूसरे को कहानियां सुनाई ।
फिर सबने तय किया कि वे कल पहाड़ पर बने जंगल में जाएंगे ।
जब बच्चे घर लौटे , तो वहां का हाल देखकर चौंक गए ।
घर का सारा सामान तितर - बितर पड़ा था ।
अंकल केन लगातार हर चीज को पलटते हुए कुछ खोज रहे थे ।
पापा ने बताया कि उनके एक सूटकेस की चाबी नहीं मिल रही थी ।
रॉन ने पूछा , “ पापा , क्या हो गया ? ” अंकल केन बोले , “ बेटा ! हमारे एक सूटकेस की चाबी
नहीं मिल रही है । "
" कौन - सी चाबी ? आपने उसे कहां रखी थी ? " रॉन ने पूछा ।
अंकल केन बोले , " कैसा अजीब सवाल है , रॉन ।
हम चाबी कहां रखते हैं । अपनी जेब या बैग में ही तो रखते हैं ।
" रॉन बोला , " पापा , पिछली बार जब चाबी खोई थी , तो वह चीनी के डिब्बे में मिली थी ।
आपने उसे वहां रख दिया था ।
" अंकल केन ने जवाब दिया , " नहीं , मैंने नहीं । हमारे घर में काम करने वाली आया ने रखा था ।
" अब वे सारे कुशन पलटकर चाबी खोज रहे थे ।
तभी मम्मी ने कहा , “ आप पहले चाय पी लें ।
फिर हम सब मिलकर चाबी खोज लेंगे ।
" रॉन अपने कपड़े बदलने चला गया ।
इस दौरान अंकल केन के लिए चाय पीना मुश्किल हो गया ।
वह चाय पीते हुए भी मेज पर रखे सामान के आसपास अपनी चाबी खोजने की कोशिश कर रहे थे ।
पापा ने कहा , " आपकी चाबी यहां कैसे हो सकती है ।
यह सारा सामान तो मेज पर अभी रखा गया है ।
कहीं आप अपनी चाबी अपने घर पर ही तो नहीं भूल आए ? " " नहीं , क्या मैं भुलक्कड़ हूं ।
मुझे अच्छी तरह याद है कि मैं चाबी अपने साथ लाया था ।
वह यहीं कहीं खो गई है । " अंकल केन ने जवाब दिया ।
तभी रॉन भीतर से आकर बोला , " ये रही चाबी ! पापा , आपने इसे मेरी जुराब में रख दिया था ।
" यह सुनकर सभी लोग जोर - जोर से हंसने लगे ।