किसी स्थान पर एक राजकुमारी रहती थी ।
वह बहुत सुंदर और प्यारी थी ।
सभी लोग उसे बहुत प्यार करते थे ।
राजकुमारी को महल के रखवालों और नौकरों से बात करना अच्छा लगता था ।
वह अक्सर रसोईघर में काम करने वाली आंटी के पास चली जाती थी ।
आंटी बहुत अच्छा खाना बनाती थी ।
उस मोटी आंटी के गाल गुलाबी और आंखें चमकीली थीं ।
वह सबसे बहुत प्यार से मिलती थी ।
लेकिन उसे उन बिल्लियों से चिढ़ थी , जो उसका बना खाना चुरा ले जाती थीं ।
वह उन्हें देखते ही अपना बेलन लेकर भगाती थी । राजकुमारी का जन्मदिन आ रहा था ।
राजकुमारी चाहती थी कि वह अपने दोस्तों को जन्मदिन की दावत दे ।
आंटी ने उससे वादा किया कि वह दावत के लिए बहुत अच्छा और स्वादिष्ट व्यंजन बनाएगी ।
पूरे महल में राजकुमारी के जन्मदिन की तैयारियां होने लगीं ।
अपने जन्मदिन से एक रात पहले राजकुमारी महल के रसोईघर की ओर गई ।
वह आंटी के काम में मदद करना चाहती थी ।
जब उसने रसोईघर में झांका तो वह हैरान रह गई ।
आंटी अपने हाथ में पकड़े बेलन को जादुई छड़ी की तरह लहरा रही थी ।
बर्तन और मटके वगैरह हवा में तैर रहे थे । जूठे बर्तन अपने - आप साफ होकर अलमारियों में चले जा रहे थे ।
वह केवल अपने हाथ में थामे हुए बेलन को लहरा रही थी ।
राजकुमारी को देखकर आंटी मुस्कराई और बोली , जादूगरनी हूं ।
अगर किसी को यह बात मालूम हो गई , तो वह मुझे चुड़ैल " मैं एक समझेगा ।
तुम किसी को यह बात मत बताना कि तुमने यहां क्या देखा ।
मैं कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती । ” * आप चिंता न करें । मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी ।
" राजकुमारी बोली । आंटी ने खुश होकर कहा , “ ठीक है , मैं तुम्हारे जन्मदिन के लिए एक ऐसा केक तैयार करूंगी , जो अपने - आपमें खास होगा ।
" अगले ही दिन जन्मदिन की दावत थी ।
राजकुमारी ने अपने सारे दोस्तों को बता दिया था कि उसके जन्मदिन का केक खास होगा ।
लेकिन जब केक को मेज पर रखा गया , तो वह उसे देखकर निराश हो गई ।
वह तो साधारण - सा केक था । उस पर एक फूल तक नहीं लगा था ।
राजकुमारी के दोस्त उस खास केक के नाम पर उसका मजाक उड़ाने लगे ।
लेकिन राजकुमारी ने चुपचाप उसे काटा और सबको एक - एक टुकड़ा दे दिया ।
आज वह बहुत दुखी थी । लेकिन ये क्या ! जब वह केक का टुकड़ा खाने लगी , तो उसमें से कागज की एक पर्ची मिली , जिस पर लिखा था- ' और केक खाओ , बदल जाओ ।
' ज्यों ही उसने दूसरा टुकड़ा खाया , उसके कंधों पर पंख निकल आए ।
फिर देखते ही देखते वह इधर - उधर उड़ने लगी ।
उसकी सहेलियों ने भी केक खाया और वे भी तितलियों की तरह उड़ने लगीं ।
यह सब देखकर वे हैरान थीं । सभी सहेलियां बाग में चली गई और इंद्रधनुषी रंगों वाले अपने पंखों से बहुत देर तक उड़ान भरती रहीं ।
उन्हें बहुत मजा आया ।
जब सभी सहेलियां थक गईं , तो उन्होंने घर जाने का विचार किया ।
राजकुमारी की समझ में नहीं आ रहा था कि नीचे कैसे उतरा जाए ।
तभी उसे पर्ची पर लिखी बात याद आ गई और केक खाओ , बदल जाओ । '
' ,
राजकुमारी ने जल्दी से एक और टुकड़ा खाया , तो वह धरती पर उतर आई ।
उसके पंख भी गायब हो गए । उसकी सारी सहेलियों ने भी ऐसा ही किया ।
यह कितना अद्भुत जन्मदिन था ।
सबके जाने के बाद राजकुमारी आंटी के पास रसोईघर में गई , जिसने जादुई केक खिलाकर उसके जन्मदिन की दावत को खास बना दिया था ।
वह अपने साथ उसके लिए एक उपहार भी ले गई थी ।