राजकुमारी रोजालिंड को नाचना बहुत अच्छा लगता था ।
रोजालिंड चाहती थी कि वह एक अच्छी बैलेरीना यानी नर्तकी बने और लोग
उसका नाच देखकर तालियां बजाएं ।
लेकिन उसके माता - पिता उसकी इस इच्छा पर ध्यान नहीं देते थे ।
एक दिन महल में नाचने - गाने वालों का एक दल आया ।
रात को राजकुमारी रोजालिंड उनकी प्रमुख नर्तकी एला का नाच देखकर रोमांचित हो उठी ।
उसने अपने मुख पर आभूषणों से सजा नकाब पहन रखा था ।
वह किसी परी की तरह नाच रही थी ।
जब एला का नाच खत्म हुआ , तो राजकुमारी रोजालिंड पर्दे के पीछे चली गई ।
उस समय एला अपना नकाब उतार रही थी ।
राजकुमारी रोजालिंड उसे देखकर हैरान रह गई ।
उसने देखा कि अपने लंबे और सुनहरे बालों के कारण वे दोनों एक जैसी लगती थीं ।
" काश ! मैं भी तुम्हारी तरह इतना अच्छा नाच पाती ।
" रोजालिंड बोली । ' और काश ! मैं भी तुम्हारी तरह प्रिंसेस होती ।
मैं राजकुमारी बनना चाहती हूं । " एला ने कहा ।
रोजालिंड हंसने लगी , तो एला बोली , “ वाह ! सारा दिन खाओ और रेशम के पलंग पर आराम करो ।
कोई काम नहीं करना पड़ता । कितना मजा आता होगा ।
" फिर उन्होंने आपस में तय किया कि वे कल रात को नाच - गाने के शो से पहले , अपने कपड़े बदल लेंगी ।
फिर अगली रात को रोजालिंड ने एला की पोशाक पहनकर उसका नकाब लगा लिया , जबकि एला ने उसके गहने और गुलाबी गाउन पहन लिए ।
इसके बाद नृत्य का प्रोग्राम हुआ , जिसमें राजकुमारी रोजालिंड खूब नाची ।
सभी लोगों ने उसे एला ही समझा ।
उसके नाच की बहुत तारीफ हुई ।
फिर वह एला के दल के साथ आराम करने के लिए उनके डेरे पर चली गई ।
इधर एला राजा और रानी के साथ रात का खाना खाने चल दी ।
वे लोग बातें करने और खाना खाने में मग्न थे ।
उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके साथ राजकुमारी के बजाय कोई दूसरी लड़की खाना खा रही है ।
तभी रानी ने एला को हाथ से चिकन खाते देखा । वह बोलीं , " छि : रोजालिंङ ! ये तुम्हें क्या हुआ ?
इसे हाथ से नहीं खाते । छुरी - कांटे से खाना खाओ । " एला को मजबूरन छुरी - कांटे से खाना पड़ा ।
फिर उन्होंने उसे सोने भेज दिया ।
एला कमरे से बाहर जाने का रास्ता ढूंढ़ने लगी ।
उसे राजकुमारी बनने का आनंद मिल गया था ।
अब वह अपने घर जाना चाहती थी ।
तभी उसने कमरे की एक खिड़की खुली दिखी ।
वह उससे बाहर कूद गई । ' ओह ! जान बची , सो लाखों पाए ।
मुझे राजकुमारी नहीं बनना ।
यहां तो हर काम कितना सोच - समझकर करना पड़ता है ।
मेरा तो चार दिन में ही दम घुट जाएगा । ' एला ने सोचा और अपने डेरे की ओर चल पड़ी ।
जब एला अपने डेरे पर पहुंची , तो राजकुमारी रोजालिंड को एला की मां से डांट सुननी पड़ रही थी ।
एला पर्दे के पीछे छिप गई ।
एला की मां बोलीं कि खेल से मन हटाकर उसे नाच के अभ्यास में अधिक समय देना चाहिए ।
रोजालिंड को लगा कि कहीं उसकी पोल न खुल जाए ।
अतः उसने वहां से बाहर जाने का उपाय सोच लिया ।
जब एला की मां बाहर चली गईं , तो रोजालिंड निराश होकर बैठ गई ।
तब एला पर्दे के पीछे से बाहर आ गई ।
उसे देखकर रोजालिंड रो पड़ी और बोली , " एला , मुझे नहीं लगता कि मैं तुम्हारी तरह अच्छी नर्तकी बन सकती हूँ ।
इसके लिए बहुत अभ्यास की जरूरत होती है ।
" एला बोली , " वह तो ठीक है , लेकिन नर्तकी बनने के बजाय राजकुमारी बनना कहीं मुश्किल काम है ।
हमेशा एक राजकुमारी की तरह पेश आना पड़ता है ।
" फिर राजकुमारी रोजालिंड ने एला से विदा ली और अपने महल की ओर चली गई ।