जब केटी अपने सातवें जन्मदिन की सुबह उठी , तो उसने अपने पलंग पर बहुत से उपहार पाए ।
ये उपहार केटी के मम्मी - पापा उसके लिए लाए थे ।
अचानक केटी को पलंग पर ' सर - सर ' की आवाज सुनाई दी ।
ये क्या ! वह तो एक प्यारा - सा बिल्ली का बच्चा था , जिसके गले में गुलाबी रिबन बंधा था ।
उसने उसे प्यार से अपनी गोद में उठा लिया ।
मम्मी - पापा ने केटी को उसके सातवें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं ।
मम्मी ने कहा , “ केटी यह तुम्हारा पालतू बिल्ला होगा ।
आज तुम इसका कोई प्यारा - सा नाम सोच लेना ।
” केटी ने मम्मी - पापा को इतने अच्छे उपहार के लिए धन्यवाद दिया और स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी ।
वह बिल्ला केटी के पलंग पर गोल - मोल होकर सो गया ।
केटी सारा दिन अपने पालतू बिल्ले का नाम सोचती रही , लेकिन कोई नाम उसकी समझ में नहीं आ रहा था ।
अंततः रात को सोने का समय आ गया ।
मम्मी ने आकर कहा , “ केटी ! मैं इसे सुलाने के लिए हॉल में ले जा रही हूं । अब तुम भी सो जाओ । "
केटी ने कहा , " नहीं मम्मी ! आप इसे मेरे पास ही सोने दें । "
" नहीं , हमें इसे शुरू से ही अलग जगह सुलाने की आदत डालनी होगी , वरना यह बड़ा होकर बहुत परेशान करेगा । "
मम्मी ने केटी की बात नहीं मानी और बिल्ले को लेकर हॉल की ओर चली गई ।
केटी बिल्ले को याद करती रही । हॉल में उसके ' म्याऊँ म्याऊं ' करने की आवाज आती रही ।
घर का कोई भी आदमी गहरी नींद नहीं सो सका ।
अगली सुबह मम्मी ने तय किया कि टोकरी में तकिया लगाकर बिल्ले को लिविंग रूम में सुलाया जाएगा ।
अगले दिन जब केटी सोकर उठी , तो उसने मम्मी को चिल्लाते हुए पाया ।
केटी ने जाकर देखना चाहा कि क्या हो गया था । बिल्ले का तकिया तार - तार हो गया था ।
उसने सोफा फाड़ दिया था , मेज पलट दी थी और उस मेज पर रखा नया फूलदान तोड़ दिया था ।
मम्मी का गुस्सा सातवें आसमान पर था ।
" आज के बाद ये शरारती बिल्ला रसोईघर में सोया करेगा ।
" उन्होंने ऐलान कर दिया । केटी ने मम्मी से कहा , “ मम्मी ! यह वहां भी कुछ शरारत कर सकता है ।
अतः इसे वहां मत सुलाएं । अगर ये मेरे कमरे में सोएगा , तो किसी को परेशान नहीं करेगा । "
लेकिन केटी की मम्मी इतने गुस्से में थीं कि उन्होंने किसी की कोई बात नहीं मानी ।
उस रात बिल्ले को रसोईघर में सुलाया गया ।
जब अगली सुबह केटी ने जाकर रसोईघर का हाल देखा , तो वह हैरान रह गई ।
मम्मी मेज पर बैठी रो रही थीं । बिल्ले ने दूध से भरा बर्तन पलट दिया था ।
कांच के कई बर्तन तोड़ दिए थे । रसोईघर में जगह - जगह खाना बिखरा हुआ था ।
केटी ने बिल्ले को गोद में उठाकर प्यार से कहा , " तुम सबको इतना परेशान क्यों करते हो ?
मम्मी - पापा तो तुम्हें बहुत प्यार करते हैं ।
" बिल्ला केटी की गोद से उतरकर सोफे के पीछे दुबक गया ।
उस रात केटी ने मम्मी से कहा कि बिल्ले को उसके कमरे में सोने दिया जाए ।
उसे पूरा यकीन था कि बिल्ला उसके कमरे में कोई आफत नहीं मचाएगा ।
पापा ने भी हामी नहीं भरी । वे भी बिल्ले से नाराज थे ।
उसने आज उनका अखबार फाड़ दिया था ।
अंततः मम्मी ने हामी भर दी । केटी खाने के बाद बिल्ले को अपने कमरे में ले गई ।
वे दोनों मिलकर गेंद खेलने लगे । उसके बाद केटी ने बिल्ले को अपनी बगल में लिटा लिया ।
उस रात बिल्ले ने केटी के कमरे में कोई तोड़ - फोड़ नहीं की और चैन से केटी के साथ सोया ।
अगली सुबह मम्मी पापा ने आवाज दी , “ केटी ! देखें कि तुम्हारे कमरे में क्या नुकसान हुआ ? ”
लेकिन केटी के कमरे में तो बिल्ले ने कोई नुकसान नहीं किया था ।
वह उसके साथ मजे से सो रहा था ।
केटी ने उसका नाम ' आफत ' रख दिया ।