स्नोड्रॉप अपने पिता के साथ पहाड़ी पर बने एक छोटे से घर में रहती थी ।
उसके माता - पिता नहीं थे ।
एक दिन एक विचित्र बुढ़िया उनके घर आई और उससे कहा कि वह उसकी मौसी है ।
वह बोली , " तुम्हारी मां नहीं है , इसलिए मैं तुम्हारी देखरेख करने यहां आई हूं । "
स्नोड्रॉप को शीघ्र ही पता चल गया कि वह बुढ़िया बहुत चालाक और बेरहम है ।
वह उससे सारा दिन काम करवाती रहती ।
उससे अपने पैर दबवाती ।
अपने सिर में तेल डलवाती और अपने मैले कपड़े धोने को कहती ।
इतना काम उसे तब भी नहीं करना पड़ता था , जब वह अपने पिता के साथ रहती थी ।
एक दिन उसके पिता कहीं बाहर चले गए और वापस नहीं आए ।
स्नोड्रॉप अब घर छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकती थी , क्योंकि उसे उम्मीद थी कि एक दिन उसके पिता वापस आ जाएंगे ।
एक दिन स्नोड्रॉप दुकान से खाने का सामान लेने गई , तो उसे शोकेस में एक सफेद चीनी खच्चर ( खिलौना ) रखा दिखाई दिया ।
उसने वह चीनी खच्चर खरीद लिया और घर लाकर अपने तकिये के नीचे छिपा दिया ।
रात को स्नोड्रॉप की आंख खुली तो उसने सफेद चीनी खच्चर को अपने सिरहाने खड़ा पाया ।
उसने कहा , " मेरी पीठ पर बैठ जाओ । इस बुढ़िया ने तुम्हारे पिता को एक आदमखोर राक्षसी के किले में बंद कर रखा है ।
" जब वे बाहर आ गए , तो खच्चर ने कहा , “ तुम सुनहरा फूल ढूंढ लाओ , ताकि मैं तुम्हें अपने साथ उड़ाकर उस किले में ले जा सकूं ।
इस तरह तुम्हारे पिता की जान बचाई जा सकती है । " स्नोड्रॉप जल्द ही सुनहरा फूल ढूंढ़ लाई ।
खच्चर ने वह फूल खाया और शीघ्र ही उड़ान भरने लायक हो गया ।
अब वह उड़कर किले तक जा सकता था ।
सफेद चीनी खच्चर ने स्नोड्रॉप को चेतावनी दी , " जब तुम किले के अंदर जाओगी , तो तुम्हें हीरे - जवाहरात से भरे बक्से दिखाई देंगे ।
तुम उन्हें हाथ मत लगाना , वरना तुम भी किले के जादू में कैद हो जाओगी ।
तुम्हें सिर्फ अपने पिता को ढूंढ़ना है ।
" जब वे किले के पास पहुंचे , तो स्नोड्रॉप चीनी खच्चर से नीचे उतरी और दौड़कर किले की सीढ़ियां चढ़ गई ।
अब उसे अपने पिता को ढूंढ़ना था ।
उसने कमरों में रखे गहनों से भरे बक्सों की ओर देखा तक नहीं ।
आगे बढ़ने पर स्नोड्राप को हरे रंग की आदमखोर राक्षसी दिखाई दी , जो गहनों के पास पड़ी सो रही थी ।
उसके पिता वहीं जंजीर से बंधे हुए थे ।
उसने उन्हें चुप रहने का संकेत किया और धीरे से आदमखोर राक्षसी को जेब से चाबी निकाल ली ।
शीघ्र ही उसने अपने पिता को आजाद कर दिया ।
फिर वे वहां से निकलकर बाहर की ओर भागे ।
अचानक स्नोड्रॉप का पैर वहां रखे एक बक्स से टकरा गया ।
ऐसे में आदमखोर राक्षसी की नींद खुल गई ।
जब उसने उन्हें भागता देखा तो जोर से हुंकार भरी , जिसके कारण चारों ओर धूल भरी आंधी आ गई ।
स्नोड्राप और उसके पिता किसी तरह भागते हुए चीनी खच्चर के पास पहुंचे ।
वह किले के बाहर खड़ा उनकी राह देख रहा था ।
जब राक्षसी ने बिजली वाली लाठी से उन्हें रोकना चाहा , तो चीनी खच्चर ने उसे दुलत्ती मार दी और बिजली वाली लाठी उसकी ओर उछाल दिया ।
ऐसे में आदमखोर राक्षसी झुलसकर राख हो गई । वे लोग सही - सलामत अपने घर पहुंच गए ।
स्नोड्रॉप बहुत खुश थी । उसने चीनी खच्चर को गले से लगा लिया । लेकिन ये क्या ! वह खच्चर एक सुंदर राजकुमार में बदल गया ।
वह बोला , " उस बुढ़िया ने मुझे भी जादू से ऐसा बना दिया था ।
तुम्हारे प्यार और दया ने चीनी खच्चर को फिर से राजकुमार बना दिया
। " इसके बाद राजकुमार ने स्नोड्रॉप से शादी कर ली और वे खुशी - खुशी रहने लगे ।