बर्टी एक छोटा चूहा था , जो मक्का के खेत से कुछ दूरी पर रहता था ।
वह सुबह के समय मक्का इकट्ठा करता और शाम को अपने घर ले जाता ।
वह अक्सर रास्ते में कुछ समय खेल में बिताता था और तरह - तरह की चीजें देखकर बहुत खुश होता था ।
एक दिन बर्टी ने मक्का के खेत में एक सुंदर तितली देखी और उसका पीछा करने लगा ।
' ओह , सारा दिन खेत में इस तरह उड़ने पर तितली को
कितना मजा आता होगा । ' बटीं ने सोचा , ' इसके पंख कितने प्यारे हैं ।
काश ! मेरे पास भी इतने सुंदर पंख होते । ' शाम को बर्टी अपने घर पहुंचा और आईने में देखकर कल्पना करने लगा कि अगर उसके पंख निकल आएं , तो वह दिखने में कैसा लगेगा ।
उस रात वह सपने में यही देखता रहा कि उसके पंख निकल आए हैं और वह आकाश में उड़ान भर रहा है ।
वर्टी अक्सर इस बात को याद करके उदास रहने लगा । एक दिन उसे अपनी पुरानी दोस्त नगेट गिलहरी दिखाई दी ।
वह एक बड़े से फल को अपने बिल तक ले जाने की कोशिश कर रही थी ।
नगेट बोली , " हैलो , बर्टी ! जरा ठहरो तो सही । तुम्हें काफी दिनों बाद देख रही हूं ।
तुम इतने उदास क्यों हो ? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ? " “ हां , तबीयत तो ठीक है ।
लेकिन कुछ दिन पहले मैंने एक तितली देखी थी ।
" बर्टी ने कहा । " तो इसमें उदास होने वाली क्या बात है ? " नगेट ने पूछा । "
उसके पंख बहुत सुंदर हैं और वह उड़ भी सकती है ।
" बर्टी ने रोते हुए कहा , “ काश ! मेरे भी पंख होते और मैं भी उसकी तरह उड़ सकता ।
" नगेट ने बर्टी की ओर देखा और बोली , " मैंने तो आज तक तुमसे बड़ा मूर्ख चूहा नहीं देखा ! ” " ऐसा क्यों कह रही हो ?
" वर्टी ने पूछा । " तुमने कभी सोचा भी है कि तितली का जीवन कितना बुरा होता है ।
वह मक्का नहीं खा सकती ।
ह फूलों से मिलने वाला मकरंद ही पीती है ।
तुम्हें पता है कि इन्सान उसके साथ कैसे पेश आते हैं ? " नगेट बोली ।
बर्टी को तितली के जीवन के बारे में इतनी बातें नहीं मालूम थीं , इसलिए वह बहुत गौर से सुनने लगा ।
नगेट बोली , " बहुत से लोग तितलियों को पकड़ लेते हैं और उन्हें बोर्ड पर एक पिन की मदद से चिपका देते हैं , ताकि सबको उसकी सुंदरता और रंग दिखा सकें ।
क्या तुम कल्पना कर सकते हो कि कोई तुम्हें इस तरह बोर्ड पर लगा दे ? " बर्टी बोला , " हाय !
मुझे तो इस बारे में पता ही नहीं था । मुझे लगता है कि चूहा बने रहने में ही समझदारी है ।
अगर मैं भी तितली होता , तो जान के लाले पड़ जाते । कोई भी इन्सान मुझे पकड़कर अपने घर ले जाता ।
मुझे तो यह सोचने से भी डर लगता है । मैं तो चूहा ही ठीक हूं । "
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नगेट ने कहा , “ बहुत अच्छे ! अब तुम्हें अक्ल आ गई । भगवान ने हमें जैसा बनाया है , हम वैसे ही ठीक हैं ।
हमें दूसरे जीवों से अपना मुकाबला नहीं करना चाहिए ।
" बी फल को ढोने में नगेट की मदद करते हुए बोला , ' तुमने सही कहा ।
चूहा तो चूहा रहकर ही सुंदर लगता है और गिलहरी भी कभी चिड़िया नहीं बन सकती ।
तुमने मेरी आंखें खोल दीं , दोस्त ! अब चलता हूँ । ” इसके बाद बर्टी ने कभी ऐसा सपना नहीं देखा ।
वह समझ गया था कि अन्य प्राणी बनने से बेहतर है कि हम जो हैं , वही रहकर खुश रहें ।