टफी गया स्कूल

टफी एक शरारती खरगोश था ।

वह अपने मम्मी - पापा के साथ मिस्टर जिराल्ड के बाग में रहता था ।

टफी समझता था कि वह बहुत चालाक है और उसके दिल में जो आए , वो कर सकता है ।

एक दिन टफी ने मिस्टर जिराल्ड के घर में जाकर उनके जूतों के फीते आपस में कसकर बांध दिए ।

अगले दिन उन्हें ऑफिस जाते समय देर हो गई , क्योंकि वे फीते खुल ही नहीं रहे थे ।

यह देखकर टफी को बहुत मजा आया ।

एक दिन उसने एक गाजर ली और उसे उनकी कार के पाइप में फंसा दी ।

सुबह बाहर जाते समय मिस्टर जिराल्ड की कार स्टार्ट ही नहीं हुई ।

वे परेशान हो गए । उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि उनके साथ ऐसी शरारतें कौन कर रहा है ।

लेकिन टफी के मम्मी - पापा से यह बात छिपी न रह सकी ।

वे जान गए थे कि उनका बेटा टफी बहुत शरारती हो गया था और अपनी शरारतों से दूसरों को परेशान करने लगा था ।

टफी के पापा ने उसे समझाया , " बेटा ! मिस्टर जिराल्ड बहुत नेक इन्सान हैं ।

हम अक्सर उनके बाग से गाजर और पत्तागोभी लाकर खाते हैं ।

वे हमें कुछ नहीं कहते । तुम उन्हें परेशान क्यों करते हो ?

यह गलत बात है । " टफी उस समय चुप रहा , लेकिन उसकी शरारतें जारी थीं ।

ऐसे में उसके मम्मी - पापा ने आपस में बात की और उन्होंने उसे स्कूल भेजने के लिए उसका नाम लिखवा दिया ।

अगले दिन टफी को लेने के लिए स्कूल बस आ गई ।

उसे नया यूनिफार्म पहनाकर और बस्ता देकर स्कूल भेज दिया गया ।

टफी को बिल्कुल पता नहीं था कि स्कूल क्या होता है और उसे वहां क्या करना होगा ।

टफी सोच रहा था कि क्या उस नई जगह पर वह कुछ शरारतें कर सकेगा , लेकिन उसकी सारी सोच बेकार चली गई ।

स्कूल में हर जगह लाइन में खड़े होना पड़ता था ।

कुर्सी पर बैठकर पाठ पढ़ना होता था ।

जब टीचर ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखता , तो उसे याद करना पड़ता था ।

सारा दिन उसी जगह बैठने से टफी बहुत ऊब गया ।

उसने मन में सोचा , ' हाय ! अब रोज ऐसी जगह आना होगा ।

इसी तरह बैठकर पढ़ाई करनी होगी ।

मुझे वहां बाग में कितना मजा आता था ।

' जब टफी अपने घर आया , तो बहुत उदास था ।

अभी उसे स्कूल का काम पूरा करना था , जिसे टीचर होमवर्क कहते थे ।

मम्मी पापा ने उसे इस हाल में देखा , तो कुछ नहीं कहा ।

क्योंकि वे जानते थे कि जल्द ही टफी का मन स्कूल में लगने लगेगा ।

टफी गुस्से से बोला , " अब स्कूल के इस होमवर्क को करने में अपना समय बरबाद करना होगा ।

" उसके पापा बोले , " यह काम करने से समय बरबाद नहीं होता ।

यह तुम्हारे भले के लिए ही है । " टफी ने चुपचाप काम कर लिया ।

जब अगले दिन टफी स्कूल गया , तो उसकी बड़बड़ाहट जारी थी ।

उसने कक्षा में सीखा कि सारे बेर स्वादिष्ट नहीं होते ।

कुछ बेर खाने में अच्छे होते हैं , लेकिन कुछ बेर खाने से पेट दुखने लगता है ।

उसने आराम से टीचर की बात सुनी ।

उसकी समझ में आ गया कि कभी - कभी बेर खाने से उसके पेट में दर्द क्यों होने लगता था ।

शीघ्र ही टफी की दोस्ती पैगी खरगोश और हब गिलहरी से हो गई ।

वे तीनों पक्के दोस्त बन गए और नए - नए खेल खेलने लगे ।

उसे उनके साथ खेलने में मजा आने लगा था ।

अब टफी को स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता है ।

वह जगह उसके लिए खराब नहीं रही ! क्योंकि उसे स्कूल में तरह - तरह की जानकारियां प्राप्त होती हैं और अपने मित्रों के साथ खेलने में खूब

आनंद आता है ।