बहुत समय पहले की बात है ।
एक औरत की बेटी बहुत आलसी थी ।
वह अपनी मां के कहने पर भी चरखा नहीं कातती थी ।
एक दिन मां को गुस्सा आ गया और उसने उसकी पिटाई कर दी ।
वह जोर - जोर से रोने लगी । उसी तरफ से रानी कहीं जा रही थी ।
उसने उस औरत से पूछा कि उसकी बेटी क्यों रो रही थी ।
यह सुनकर वह औरत डर गई ।
उसने सोचा कि कहीं रानी उसे जेल में न डाल दें ।
उसने झूठ बोला , “ मेरी बेटी बहुत अच्छा सूत कातती है ।
लेकिन हम इतने गरीब हैं कि इसे चरखा और कपास खरीदकर नहीं दे सकते ।
इसी वजह से यह रो रही है । " रानी उस लड़की को अपने साथ महल में ले जाते हुए बोली , “ मैं इसे चरखा कातने का सारा सामान दूंगी ।
फिर यह अपना शौक पूरा कर लेगी ।
" रानी ने महल में उस लड़की को चरखा और तीन कमरों में भरा हुआ कपास दिखा दिया , जिसका धागा उसे तैयार करना था ।
"
' अगर तुम सारा कपास कात दोगी , तो मुझे पता चल जाएगा कि तुम कितनी मेहनती हो ।
तब मैं अपने बड़े बेटे से तुम्हारी शादी कर दूंगी ।
" रानी ने उस लड़की से कहा ।
ज्यों ही रानी वहां से गई , वह लड़की खिड़की के पास बैठकर रोने लगी ।
वह सोच रही थी कि इतना सारा कपास वह कैसे कात सकेगी ।
भी
तभी अचानक उस लड़की को खिड़की पर तीन औरतें दिखाई दीं ।
एक औरत के पैर सपाट थे , दूसरी औरत का निचला होंठ बहुत बड़ा था और तीसरी औरत का अंगूठा चपटा था ।
" तुम क्यों रो रही हो ? " उन्होंने लड़की से पूछा ।
लड़की ने उन्हें सारा कपास दिखाकर अपनी परेशानी के बारे में बताया ।
एक औरत बोली , " हम तुम्हारी मदद करेंगी , लेकिन तुम्हें हमसे एक वादा करना होगा ।
" " तुम्हें शादी की दावत में हमें बुलाना होगा और सबके सामने कहना होगा कि हम तुम्हारी रिश्ते की बहनें हैं ।
अगर हम तुम्हारे साथ खाने की मेज पर बैठें , तो तुम शर्मिंदा मत होना ।
" दूसरी औरत बोली । उस लड़की ने हामी भर दी और वे खिड़की के रास्ते महल में आ गईं ।
उनमें से एक औरत ने अपने सपाट पैर से चरखे का तकुआ चलाया ।
दूसरी अपने होंठ से कपास भिगोने लगी और तीसरी धागे को बटते हुए अपने अंगूठे से उसे चपटा करने लगी ।
फिर देखते ही देखते तीनों औरतों ने बड़ी तेजी से अपना काम शुरू कर दिया ।
वह लड़की उनकी फुर्ती देखकर आश्चर्य में पड़ गई ।
उसने कभी किसी को इतनी तेजी से कपास कातते हुए नहीं देखा था ।
वे सारा दिन काम करती रहतीं । वह लड़की उनके लिए थोड़ा थोड़ा भोजन छिपा लेती थी ।
वे उसे खाकर फिर से काम करने लगतीं ।
जब रानी उधर आती , तो वे तीनों छिप जातीं ।
कुछ ही सप्ताह में तीनों कमरों में भरे कपास का बढ़िया धागा तैयार हो गया ।
तीनों औरतें बाहर चली गईं ।
उन्होंने जाते समय उस लड़की को उसका वादा याद दिला दिया ।
रानी को वह मेहनती लड़की अच्छी लगी ।
उसका बेटा भी उस लड़की को चाहने लगा था , अतः बड़ी धूमधाम से शादी की तैयारियां होने लगीं ।
लड़की ने राजकुमार से पूछा , “ क्या मैं अपने रिश्ते की तीन बहनों को भी बुला सकती हूं ।
” राजकुमार ने हामी भर दी ।
शादी की दावत में वे तीनों औरतें आईं ।
राजकुमार ने उन्हें देखकर पूछा कि उनके अंग इस तरह के कैसे हो गए इतने सपाट पैर , बड़ा होंठ और चपटा अंगूठा ।
तीनों ने कहा , “ बेटा ! यह सब चरखा चलाने के कारण हुआ है ।
" यह सुनकर राजकुमार डर गया ।
उस दिन के बाद उसने राजकुमारी को फिर कभी चरखा नहीं चलाने दिया ।
राजकुमारी ने अपनी उन तीनों मुंहबोली बहनों का साथ कभी नहीं छोड़ा ।
जब महल में बच्चे का जन्म हुआ , तब भी उन तीनों को दावत में बुलाया गया ।
वे उत्सव में जी भरकर नाचीं ।
जब वे वापस अपने घर जाने लगीं , तो राजकुमार और राजकुमारी ने उन्हें बहुत से उपहारों के साथ विदा किया ।
राजकुमारी तो उनका एहसान कभी नहीं भूल सकती थी ।