कमाल नाम का

दस वर्ष की अनुपमा चंद्रलतिका को संसार में दो बातें सबसे ज्यादा नापसंद थी ।

एक थी उसके छोटे भाई का उसकी चोटी खींचकर भाग जाना और दूसरा था, उसका लंबा नाम ।

'अनुपमा चंद्रलतिका' हुँ, ये भी कोई नाम हुआ । वह हमेशा अपने-आपसे कहती थी ।

सिर्फ अनुपमा होता या फिर सिर्फ लतिका होता तो भी ठीक ही लगता ।

लेकिन अनुपमा चंद्रलतिका और साथ में मिश्रा भी तो है । बोलने में ही इतना समय लग जाता है कि आप बाजार से सब्जी लेकर आ जाएँ ।

क्यों रखा ऐसा नाम आपने ? वह हमेशा अपने मम्मी-पापा से पूछती थी ।

और मम्मी-पापा से हमेशा वही जवाब मिलता, जब तुम बड़ी हो जाओगी तब बदल लेना अपना नाम ।

पता नहीं तुम्हें अच्छा क्यों नहीं लगता ?

कितना सुंदर नाम है अनुपमा चंद्रलतिका । और अनुपमा चुप रह जाती थी ।

एक बार वह अपने मम्मी-पापा के साथ घूमने मेले में गई ।

उसने मम्मी-पापा से पहले ही कह दिया था कि किसी के सामने उसे उसके पूरे नाम से न बुलाएँ ।

सिर्फ अनु कहकर बुलाएँ । मेले में एक जगह बड़ी भीड़ थी । बच्चे एक-दूसरे के ऊपर कूद-कूदकर अंदर झाँकने की कोशिश कर रहे थे ।

अनु यानि कि हमारी अनुपमा चंद्रलतिका ने भी अंदर झाँककर देखा ।

और बस वह देखती ही रह गई । अंदर उसका सबसे पसंदीदा कलाकार, जो उसका हीरो था, स्टेज पर अभिनय कर रहा था ।

'करणकुमार!' वह खुशी के मारे चिल्ला उठी ।

बाहर एक काउंटर था, जिस पर एक लड़की बैठकर कुछ लिख रही थी ।

उसने जाकर पूछा तो पता चला कि बच्चों के लिए एक पुरस्कार की योजना है, जो भी बच्चे चाहें अपना नाम यहाँ आकर लिखा दें ।

सभी नाम करणकुमार को दिखाए जाएँगे । करणकुमार एक बच्चे को चुनेंगे और आज की शाम वह उस बच्चे के साथ बिताएँगे ।

सभी बच्चे चिल्ला-चिल्लाकर अपना नाम लिखा रहे थे ।

अनु की मम्मी बोली, जाओ अपना नाम लिखाओ, तुम्हारा तो सपना है करणकुमार से मिलने का।

अनु से साफ मना कर दिया, कभी नहीं, मैं अपना मजाक नहीं बनवा सकती।

नहीं माँ कभी नहीं । और तब माँ खुद आगे गईं, अनु के मना करने के बाद भी ।

लिखिए मेरी बेटी का नाम, अनुपमा चंद्रलतिका मिश्रा, वे बोली ।

क्या ? क्या नाम बताया आपने ? काउंटर पर बैठी लड़की चौंककर बोली। 'अनुपमा चंद्रलतिका।'

उन्होंने एक-एक शब्द साफ-साफ बता दिया। बोली, ये है मेरी बेटी।

और अचानक सबकी नजरें अनुपमा चंद्रलतिका की ओर घूम गई ।

उसे ऐसा लगा जैसे कि वह वहाँ से कहीं भाग जाए । वह धीरे से मम्मी-पापा के साथ आगे बढ़ गई ।

वे मेले में घूम ही रहे थे, तभी उन्हें लाउस्पीकर पर आवाज सुनाई दी, आज की शाम करणकुमार के नाम पुरस्कार जीता है एक बच्ची ने, जिसका नाम है अनुपमा चंद्रलतिका मिश्रा ।

और अनुपमा चंद्रलतिका को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ ।

घोषणा अभी चल ही रही थी, करणकुमार जी को बच्चों के नामों की पूरी सूची में यही नाम सबसे ज्यादा पसंद आया ।

वे देखना चाहते हैं कि इस अलग-से नाम वाली बच्ची आखिर है कौन ? तो इस नाम की जो भी बच्ची हो वह अंदर आ जाए ।

बस, उसके बाद पूरी शाम अनुपमा चंद्रलतिका के जीवन की सबसे सुंदर शाम बन गई । और यह कमाल था उसके नाम का! मानो या ना मानो!