मीतू स्कूल से आई और सबसे पहले अपनी सभी नोटबुक्स निकालकर बैठ गई।
आज गणित और अंग्रेजी दोनों में दो-दो पेज होमवर्क मिला था। मीतू पहली कक्षा में पढ़ती थी।
उसके लिए चार पेज लिखना काफी बड़ा काम था।
वह सोच रही थी कि आज खेलने के लिए कैसे जा पाएगी।
उसने मम्मी से कहा, मम्मी, आज खाना खाकर मैं पहले होमवर्क करुँगी। नहीं तो शाम को खेलने जाऊँगी तो आकर थक जाऊँगी। फिर चार पेज कैसे लिख पाऊँगी ?
मम्मी खुश थी की मीतू को आज होमवर्क की चिंता तो हुई।
मीतू ने जल्दी-जल्दी खाना और फटाफट होमवर्क करने बैठ गई।
पहले गणित का काम किया। फिर अंग्रेजी के दो पेज पुरे कर दिए। आधे घंटे में सब खत्म।
अरे वाह, मम्मी बोली आज तो कमाल हो गया। लेकिन जब बाद में उन्होंने मीतू की नोटबुक देखि तो पाया कि उसने जल्दबाजी में गलतियाँ की हैं।
लेख भी अच्छा नहीं लिखा था, उसने। मम्मी ने मीतू को बहुत समझाया , मीतू पहले ये गलतियाँ ठीक कर लो।
फिर खेलने जाना।
लेकिन मीतू ने मम्मी की बात पर ध्यान ही नहीं दिया।
शाम को जब वह खेलकर लौटी तो बहुत थक गई थी। उसने खाना खाया। फिर किसी तरह गलतियाँ ठीक की और सोने के लिए चली गई।
जैसे ही रात के बारह बजे, अचानक मीतू का बस्ता खुला और उसमें से उसकी सारी नोटबुक निकलकर बाहर आ गई।
उनके पन्ने अपने आप खुल रहे थे और अंदर लिखे हुए अक्षर नाच रहे थे।
अचानक जैसे उसके बस्ते के अंदर की दुनिया में जान आ गई थी।
तभी उसका पैमाना बाहर कूदा और जोर से बोलै, शांत!! लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।
अक्षर धीरे-धीरे नोटबुक के पन्नों से कूदकर मेज पर आ गए। ये सारे टेढ़े-मेढ़े अक्षर थे। मीतू ने आज आज टेढ़ा-मेढ़ा लेख लिखा था। इसलिए ये सारे टेढ़े-मेढ़े शैतान अक्षर बाहर निकलकर उछल-कूद मचा रहे थे।
उसकी नोटबुक के बाकी के पन्नों पर बहुत सुंदर अक्षर लिखे हुए थे। वे सरे अक्षर परेशान होकर यह सब कुछ देख रहे थे।
मेज पर ही मीतू के रंगों का डिब्बा रखा था। एक-एक करके सरे अक्षर रंगों में कूद गए। फिर मेज पर आए और पूरी मेज रंगों से गंदी कर दी ।
अब तक पैमाने को बहुत गुस्सा आ गया था। उसने एक-एक करके सभी अक्षरों को डाँटा।
अक्षर ही-ही करते हुए नोटबुक पर चढ़े और अपनी पुरानी जगह जाकर बैठ गए। लेकिन उस सारी शैतानी मैं मीतू की नोटबुक बहुत गंदी हो गई थी।
अक्षरों के रंगवाले पैरों के निशान सारे पन्नों पर छप गए थे। हे भगवान ! ये क्या हो गया ?
टीचर बहुत गुस्सा करेंगी। कहते हुए मीतू चौंककर उठी। तब उसे पता चला की वह सपना देख रही थी।
उसने चैन की साँस ली। कितना खराब सपना था। सोचते हुए वह वापिस लेट गई। सुबह मीतू जल्दी उठी।
और सबसे पहले उसने होमवर्क का गन्दा लेख ठीक किया। अब उसके टेढ़े-मेढ़े अक्षर शैतान नहीं रहे थे।
बल्कि सुंदर बन गए थे। उस दिन के बाद मीतू हमेशा काम सफाई से और सुंदर ढंग से करती है। जल्दबाजी कभी नहीं करती। कहीं किसी दिन उसका सपना सच हो गया तो !