एक हाथी गहरी नींद में सो रहा था। वह जोर-जोर से खर्राटे ले रहा था।
खर्राटों की आवाज सुनकर पास के बिल से एक चूहा बाहर आया।
उसने देखा कि सामने पहाड़ जैसा हाथी सो रहा था। खर्राटे के कारण उसका बड़ा-सा पेट ऊपर-नीचे हो रहा था।
चूहे को यह देखकर बड़ा मजा आया। वह धीरे से उसकी सूँड़ से चढ़कर पेट तक पहुँच गया। हाथी के पेट पर बैठकर वह झूलने लगा।
ऊपर-नीचे, ऊपर नीचे, बड़ा मजा आ रहा था। तभी हाथी की नींद खुली। एक छोटे-से चूहे को अपने पेट पर आराम से बैठ देखकर उसे बहुत गुस्सा आया।
उसने अपने पेट को जोर से हिलाया चूहा नीचे गिर गया। हाथी बोला -बेवकूफ चूहे, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे पेट पर चढ़ने की ?
चूहा घबरा गया। माफी माँगले लगा। हाथी से बोला, दादा मुझे माफ कर दो। ऐसी गलती कभी नहीं होगी।
हाथी को उस पर दया आ गई। उसने चूहे को जाने दिया। जाते समय चूहे ने कहा, दादा, कभी मेरी जरूरत हो तो बताना।
आप बहुत अच्छे हैं तभी आपने मुझे छोड़ दिया। मैं भी आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहूँगा। अच्छा, नमस्ते।
चूहे की बात सुनकर हाथी जोर-से हँसने लगा। चूहा चुपचाप वहाँ से चला गया।
कुछ दिनों बाद एक शिकारी जंगल में आया। चूहे ने उसे देख लिया था। उसके पास बहुत सारा सामान था।
लगता है कई दिन रुकने वाला है जंगल में। चूहे ने सोचा।
अगले दिन सुबह जोर की आवाज सुनकर चूहे की नींद खुली। यह को किसी हाथी की आवाज लगती है। उसने सोचा।
जब कई बार 'बचाओ-बचाओ' की आवाजें आई तो चूहा वाहन पहुँचा।
सामने देखा तो वही हाथी दादा खड़े थे। एक बड़ा-सा जाल उनके ऊपर पड़ा था, जिससे वे बाहर नहीं निकल पा रहे थे।
चूहे ने दादा को नमस्ते की। फिर वह अपने तेज दाँतों से जाल काटने लगा। वह बहुत तेजी से काम कर रहा था।
थोड़ी ही देर में जाल में एक बड़ा-सा छेड़ हो गया। हाथी उससे बाहर आ गया। अब उसे समझ आया कि छोटी चीज भी कभी-कभी बड़ा काम कर जाती है।