एक टिटहरी थी।
उसके अंडे एक बार समुद्र बहा कर ले गया।
टिटहरी को बहुत दुःख हुआ।
उसने सोचा की में समुद्र में से अपने अंडे ज़रूर निकाल कर लाऊंगी।
ऐसा सोचकर टिटहरी अपनी चोंच में मिटटी भरती और समुद्र में डाल देती।
उसके इस कार्य को महर्षि अगस्त्य देख रहे थे उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ।
महर्षि ने टिटहरी से इसका कारण पूछा।
टिटहरी ने बताया – ” महाराज मेरे अंडे समुद्र बहा कर ले गया है अब में इस समुद्र को मिटटी से भर दूंगी और अपने अंडे निकल लाऊंगी।
महर्षि को इस छोटे से पक्षी के प्रयास को देखकर बहुत प्रशन्नता हुई और उन्होंने उसकी सहायता करने का निर्णय लिया।
महर्षि अगस्त्य ने 3 अंजली में सारे समुद्र का पानी पी लिया।
और टिटहरी के अंडे मिल गए।
अपने ध्यान को केन्द्रित कर कड़ी मेहनत करना ही सफलता प्राप्त करने की असली चाभी है।