बहुत दिन पहले की बात है, एक महिला रसोई में खाना पका रही थी।
उन दिनों घरों में खाना बनाने के लिए चूल्हा जलाना पड़ता था।
चूल्हे में लकड़ियाँ और कोयले रखकर आग जला दी जाती थी और उसके ऊपर बर्तन रखकर खाना पकाना पड़ता था।
तो हुआ यह कि खाना पकाते समय एक सेम की फली, एक गर्म कोयला और एक घास का तिनका एक ओर गिर गए।
इससे पहले कि वह महिला उन तीनों को देखती, वे भाग निकले।
भागते-भागते वे पानी की एक छोटी सी धारा के पास पहुंचे।
घास के तिनके ने कहा, ठहरों, मैं दोनों किनारों के बीच लेट जाता हूँ।
तुम दोनों मेरे ऊपर होकर चले जाना।
कोयले और फली ने तिनके को धन्यवाद दिया।
तिनका लेट गया। पहले कोयला उसके ऊपर से होकर गया। कोयला अभी तक गर्म था। इसलिए तिनका बोला, जल्दी करो गर्मी लगती है।
ऐसा कहकर वह हिलने लगा। हिलने से कोयला घबरा गया। वह जल्दी-जल्दी चलने लगा। इस जल्दबाजी से तिनके को गुदगुदी होने लगी। वह हंसने लगा। किसी तरह कोयला दूसरी ओर पहुंचा। दूसरी ओर पहुंचकर कोयला भी खूब हंसने लगा।
कोयला और तिनके को हँसते देखकर फली को भी जोर से हंसी आने लगी।
वह इतना हंसी, इतना हंसी कि हँसते-हँसते दो हिस्से में फट गई।
वो तो अच्छा हुआ कि वहां से एक दर्जी जा रहा था।
जब उसने फली को देखा तो उसने उसकी पीठ को वापिस सील दिया। तबसे आज तक फली की पीठ पर एक उभरा हुआ निशान है। कभी ध्यान से देखा है तुमने।