एक गधे को अपनी आवाज़ बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी।
वह हमेशा सोचा करता था- “काश मैं भी मीठी बोली में बोल सकता।
काश में भी गाना गा सकता।'
एक दिन वंह घास के एक मैदान में घास चर रहा था।
तभी उसने एक सुरीली आवाज़ सुनी।
उसने देखा कि घास के एक तिनके पर हरे रंग का एक टिड्डा बैठा हुआ था।
यह आवाज्ञ उसी की थी।
गधे को उसका रंग बहुत अच्छा लगा।
वह टिड्डे के पास आकर बोला, "तुम्हारी आवाज़ बहुत मीठी है।
तुम ऐसी क्या चीज़ खाते हो, जिससे ऐसा सुरीला संगीत निकाल पाते हो ?
टिड्डे ने कहा, “मैं ओस की बूँदें पीता हूँ और हरी-हरी घास खाता हूँ।'
गधे ने सोचा कि ज़रूर सुबह ओस की बूँदें पीने से ही आवाज़ मीठी होती है।
और हो सकता है कि घास खाने से मेरा रंग भी सुंदर हरा हो जाए।'
इसीलिए अगले दिन सुबह-सुबह वह घास के मैदान में पहुँच गया, घास खाने के लिए।
ओस की बूँदों से भीगी हुई घास बड़ी ही स्वादिष्ट थी।
वह कई दिनों तक केवल घास खाता रहा।
लेकिन न तो उसकी आवाज़ बदली, न ही रंग।
फायदा बस यह हुआ कि गधे ने एक पौष्टिक भोजन खाना शुरू कर दिया, जो उसके लिए और उसकी सेहत के लिए अच्छा था।
हरी सब्ज़ियाँ और हरी पत्तियाँ तो हम सभी के लिए फायदेमंद होती हैं ना !