गढ़ा हुआ खज़ाना

Child Story In Hindi - Bal Kahani

एक किसान अपने खेत में काम कर रहा था।

तभी उसने एक बौने को एक जगह पर मिट्टी खोदते हुए देखा।

उसने बौने से पूछा, “यहाँ मिट्टी क्‍यों खोद रहे हो ?

बौना बहुत ही चालाक था।

उसने वहाँ एक घडे में कुछ पत्थर भरकर दबा दिए थे।

सबसे ऊपर उसने सोने का एक सिक्‍का रख दिया था।

यह सोने का सिक्का उसने किसान को दिखाया और बोला, “यहाँ खज़ाना दबा हुआ है।

ये देखो, अभी-अभी मुझे सोने का यह सिक्‍का मिला हे।'

“यह खेत मेरा है, इसलिए खज़ाना भी मेरा ही हुआ न!” किसान ने अधिकार जताते हुए कहा।

“लेकिन ख़ज़ाना ढूँढ़ा तो मैंने है।

अगर तुम ये खज़ाना लेना चाहते हो तो तुम्हें मेरी एक शर्त माननी होगी।' बौना बोला।

“क्या शर्त है ?” किसान ने पूछा।

तब बौना बोला, ' अगले दो वर्षों तक अपने खेतों में तुम जो कुछ भी बोओगे, उसका आधा हिस्सा मेरा होगा।

अर्थात्‌ जो फसल उगेगी, उसका आधा हिस्सा तुम्हारा और आधा हिस्सा मेरा।'

किसान ने कहा, 'ठीक है, मुझे मंजूर है।'

यह बात सुनकर बौना मन-ही-मन ख़ुश हो गया।

उसको हँसते देखकर किसान को थोड़ा संदेह हुआ।

वह तुरंत समझ गया कि कुछ गड्बड़ है।

उसने बौने से कहा, 'सुनो, मेरी बात पूरी तो होने दो।

अगले दो वर्षों तक मैं जो कुछ भी उगाऊँगा उसको हम दो भागों में बाँटेंगे।

ज़मीन के ऊपर जो उगेगा वह सब तुम्हारा और ज़मीन के नीचे जो कुछ उगेगा, वह मेरा, बोलो ठीक है ?'

बौने ने सोचा कि यह तो और भी ज़्यादा फायदे वाली बात है।

खेत में गेहूँ, चावल, जौ, मक्का, जो कुछ भी उगेगा, ज़मीन के ऊपर उगेगा, वह सब मेरा होगा और नीचे की जडें किसान की होंगी।

वह मन में सोच रहा था-'कैसा मूर्ख किसान है!'

लेकिन किसान मूर्ख नहीं था।

उसने अगलें दो वर्षों तक खेत में सिर्फ गाजर और आलू बोए।

बेचारे बौने को दो वर्ष तक केवल ज़मीन के ऊपर के पत्ते ही मिले।

क्योंकि गाजर और आलू सब ज़मीन के नीचे ।

उगते हैं और ज़मीन के नीचे का हिस्सा तो किसान का था ना!

दो वर्षों बाद ख़ज़ाने को निकालने का समय आया।

बौने ने सोचा कि जब किसान को ख़ज़ाने को जगह पत्थरों वाला घड़ा मिलेगा तो उसे अपने किए की सज़ा मिल जाएगी।

लेकिन भगवान भी बुद्धिमान व्यक्ति का साथ देते हैं।

जब वह जगह खोदी गई तो वहाँ दो घड़े मिले।

एक तो वही जो बौने ने दबाया था, पत्थरों से भरा हुआ और दूसरा सचमुच सोने के सिक्‍कों से भरा आ।

हि इस तरह किसान को धन भी मिला और धान्य भी।

और यह सब हुआ उसकी समझदारी की वजह से !