ऋतु एक छोटी सी बच्ची थी।
एक दिन वह अपने भाई रोहन के साथ बगीचे में खेल रही थी।
तभी एक दुष्ट जादूगरनी ने उन्हें देखा।
वह उन्हें उठाकर ले गई।
जादूगरनी ने दोनों को एक घर में बंद कर दिया।
कई दिनों तक दोनों वहाँ बंद रहे। उनके मम्मी-पापा परेशान थे कि बच्चे आंखिर गए कहाँ।
एक दिन ऋतु और रोहन जादूगरनी से बचकर चुपके से भाग निकले।
जादूगरनी उनके पीछे-पीछे भागी।
एक परी ने दोनों को मुसीबत में देखा।
वह उनकी मदद करना चाहती थी।
उसने ऋतु और रोहन से कहा कि वे रुककर एक जगह खडे हो जाएँ। फिर उसने उनके चारों ओर आग का एक चक्र बना दिया।
जादूगरनी जैसे ही वहाँ पहुँची आग के कारण रुक गई।
फिर उसने ज़ोर से एक फूँक मारी और आग बुझ गई।
अब परी ने दोनों बच्चों के चारों ओर काँच की एक दीवार खड़ी कर दी।
यह दीवार बहुत ऊँची थी और चिकनी भी।
जादूगरनी ने दीवार को तोड़ने की बहुत कोशिश की।
लकड़ी से, पत्थरों से, हाथों से, लेकिन दीवार नहीं टूटी।
तब जादूगरनी ने सोचा कि अपनी जादुई शक्ति से इस दीवार को तोड़ा जाए।
उसने अपनी आँखें बंद करके मंत्र पढ़ा और ध्यान लगाया।
उसने आँखें खोलीं तो न तो वहाँ दीवार थी और न ही बच्चे, जैसे ही जादूगरनी ने आँखें बंद करके ध्यान लगाया, परी ने तुरंत बच्चों को वहाँ से गायब कर दिया।
जादूगरनी फिर कभी भी जान नहीं पाई कि दोनों बच्चे कहाँ हैं।
ऋतु और रोहन अपने घर पहुँच गए, अपने मम्मी-पापा के पास।