एक राजा अपनी रानी के साथ महल में रहते थे।
दोनों आपस में बहुत प्रेम करते थे।
राजा का नाम था मयंक और रानी का नाम था 'गार्गी।
अचानक राजा मयंक को न जाने क्या हुआ, उनका रानी गार्गी से मन भर गया।
हुआ यह कि एंक दिन उनके दरबार में एक ज्योतिषी आए।
ज्योतिषी ने बताया कि रानी गार्गी के ग्रह राजा के ग्रहों से भी ज़्यादा अच्छे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि कुछ वर्षों के बाद शासन रानी सम्हालने लंगें।
राजा को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। उसी दिन से बे रानी से ईर्ष्या करने लगे।
एक दिन तो उन्हें इतना गुस्सा आ गया कि उन्होंने रानी को तुरंत महल छोड़कर जाने को कहा।
बे रानी से बोले, 'हम चाहते हैं कि आप तुरं।
यह राजमहल छोड़कर अपने माता-पिता के घर चली जाएँ।'
रानी यह बात सुनकर बहुत दुःखी हुईं।
उनको रोता हुआ देखकर राजा बोले, 'आपको यह महल और इसकी सुख-सुविधाओं को छोड़ने में तकलीफ होगी।
आप चाहें तो अपनी सबसे प्यारी और मूल्यवान वस्तु अपने साथ ले जा सकती हैं, बस! इससे ज़्यादा हम आपको कुछ नहीं दे सकते।'
ऐसा कहकर महाराज चले गए।
रात को महाराज रानी से कुछ भी बोले बिना अपने कक्ष में जाकर सो गए।
सुबह जब उनकी नींद खुली तो वे समझ नहीं पाए कि वे कहाँ हैं।
चारों ओर देखने पर उन्हें बस इतना ही समझ में आया कि यह उनका महल नहीं था।
उनको बहुत आश्चर्य हुआ।
तभी रानी वहाँ आईं।
रानी को फिर से अपने सामने देखकर वे क्रोधित हो गए और बोले, 'यह हम कहाँ हें ?
हम यहाँ कैसे आए ? और आप यहाँ क्या कर रही हैं ?'
रानी ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, “महाराज, यह मेरे माता-पिता का घर है।
आपके आदेश के अनुसार ही मैं यहाँ आई हूँ।
आप ही ने कहा था न महाराज कि अपनी सबसे प्यारी और मूल्यवान वस्तु को मैं अपने साथ यहाँ ला सकती हूँ।
मैंने वही किया।
मेरी सबसे प्यारी और मूल्यवान वस्तु आप ही तो हैं।
इसीलिए रात को जब आप सो रहे थे, तब सैनिकों की मदद से मैं आपको यहाँ ले आई, आपके पलंग के साथ, जिससे कि आपकी नींद न टूटे।'
राजा ने जब यह बात सुनी तो भावुक हो उठे।
उन्हें अपनी गूलती का अहसास हुआ।
उन्होंने रानी से माफी माँगी।
राजा मयंक और रानी गार्गी अपने महल में लौर आए और सदा प्रेम से रहे।