एक लोमडी को बहुत ज़ोर से भूख लगी थी।
वह खाने के लिए कुछ ढूँढ रही थी।
तभी उसने अंगूर का एक खेत देखा।
अंगूर की एक बेल बाहर तक फैली हुई थी।
उस पर मोटे-मोटे अंगूरों के गुच्छे लटके हुए थे।
लोमडी के मुँह में पानी आ गया।
वह उछलकर गुच्छे तक पहुँचने की कोशिश करने लगी।
लेकिन गुच्छे काफी ऊँचाई पर थे।
लोमडी ने फिर कोशिश की।
लेकिन अंगूर तक पहुँच ही नहीं पाई।
उसने अपने पंजों पर उचककर कोशिश कौ, कूदकर भी कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
उसने अपनी पूरी शक्ति लगा दी। फिर भी अंगूरों तक नहीं पहुँच पाई। आखिरकार उसे हार माननी पड़ी।
तब उसने अपने-आपको समझाया, 'कोई बात नहीं अगर मुझे अंगूर खाने को नहीं मिले।
शायद इससे भी अच्छी कोई चीज़ मुझे मिलने वाली है खाने के लिए।
वैसे भी ये अंगूर तो अभी तक पके भी नहीं हैं-खट्टे हैं... खट्टे!