एक छोटी-सी जगह है मसूरी।
वहाँ पर दो मज़ाकिया व्यक्ति रहते थे।
एक का नाम था गिन्नू और दूसरे का नाम था पप्पू। दोनों एक-दूसरे के साथ मज़ाक करते रहते थे।
एक दिन गिन्नू बाज्ञार से बढ़िया-बढिया सब्ज़ियाँ और केक ख़रीद रहा था।
पप्पू उसे वहाँ मिल गया। पप्पू ने पूछा, 'ये इतनी सारी सब्जियाँ और केक क्यों ले रहे हो ?
आज कोई पार्टी हे क्या ?'
गिन्नू बोला, ' हाँ भाई, हमारा दोस्त टिन्नू है न, आज उसके यहाँ हम सबका खाना है।
तुम्हें भी बुलाया है। ठीक आठ बजे पहुँच जाना।'
पप्पू बड़ा खुश हुआ।
वह आठ बजे टिन्नू के यहाँ पहुँचा।
लेकिन वहाँ कोई भी नहीं था।
टिन्नू अकेला बैठकर रोटी-सब्जी खा रहा था। टिन्नू बेचारा केक के सपने देखता हुआ वहाँ आया था।
लेकिन उसे टिन्नू के साथ रोटी बाँटकर खानी पड़ी।
बहुत गुस्सा आया उसे। उसने तय किया कि वह गिन्नू के इस मज़ाक का बदला ज़रूर लेगा।
दो-तीन दिनों के बाद ही उसने तरीका ढूँढ़ निकाला।
उनके शहर में एक प्रसिद्ध दूधवाला था।
लेकिन उसका स्वभाव ऐसा था कि उसे गुस्सा बहुत ही जल्दी आता था।
पप्पू ने गिन्नू को कहलवाया कि आज वह दूधवाले के यहाँ उसे कढ़ाई का पका हुआ बढ़िया दूध पिलाना चाहता है।
उसने गिन्नू को दूधवाले के यहाँ बुलवा लिया।
गिन्नू को ' कढ़ाईवाला दूध बहुत अच्छा लगता था।
वह दूधवाले के यहाँ पहुँच गया और थोड़ी देर खड़े होकर पप्पू का इंतज़ार करने लगा।
पप्पू वहाँ पहले ही पहुँचकर छिप गया था।
उसने जब देखा कि गिन्नू वहाँ पहुँच गया है तो उसने एक छोटे बच्चे को एक डिब्बा लेकर दूधवाले के यहाँ भेजा।
बच्चे ने गिन्नू की तरफ़ इशारा करके दूधवाले से कहा, 'वो गिन्नू भैया खड़े हैं न, उन्होंने कहा है कि इस डिब्बे में एक लीटर दूध दे दो और हाँ दूध अच्छा देना, नल का पानी मत देना, जैसे रोज़ देते हो।'
दूधवाले ने जब यह बात सुनी तो उसे बहुत तेज़ गुस्सा आ गया।
वह अपनी लाठी लेकर गिन्नू की तरफ भागा।
गिन्नू घबरा गया।
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है।
वह जान बचाने के लिए भाग रहा था ओर दूधवाला उसके पीछे-पीछे था।
भागते-भागते उसने पप्पू को देखा पप्पू हँसकर कह रहा था-
'गिन्नू, टिन्नू का केक ज़्यादा अच्छा था या दूधवाले का दूध ? बोलो ....... हा .... हा ..... हा ......
और इस तरह पप्पू ने कर दिखाया - जैसे को तैसा!