अपना देश

Child Story In Hindi - Bal Kahani

एक छोटा-सा पचास पैसे का सिक्का पूरे देश में घूम चुका था।

एक हाथ से दूसरे हाथ में होते हुए, एक पर्स से दूसरे पर्स में जाते हुए उसने सभी जगहों की सैर कर ली थी।

वह अपने इस काम से बहुत खुश था।

एक छोटा बच्चा भी उसकी कद्र करता था।

बहुत इज्ज़त थी उसकी।

एक बार जर्मनी से एक पर्यटक भारत आया हुआ था।

पर्यटक यानी वह व्यक्ति, जो घूमने-फिरने के लिए किसी जगह पर जाता है।

यह पचास पैसे का सिक्का उसके पास पहुँच गया।

उस व्यक्ति के पर्स में जर्मनी और फ्रांस के बहुत से सिक्के थे।

पहले-पहले पचास पैसे के सिक्के को अकेलापन महसूस हुआ, लेकिन जल्दी ही उसने इन नए सिक्‍कों से दोस्ती कर ली।

वह खुश था कि उसे दूसरे देश में घूमने का मौका मिल गया था।

एक दिन उस जर्मन व्यक्ति के छोदे से बेटे ने वह सिक्का लिया और आइस्क्रीमवाले को दिया।

आइस्क्रीमवाले ने तुरंत कहा- यह सिक्‍का झूठा है, नकली है।

नहीं चलेगा।'

पचास पैसे के सिक्के को बहुत बुरा लगा। कभी किसी ने भी उसके साथ ऐसा ख़राब व्यवहार नहीं किया था।

ऐसा व्यवहार उसके साथ इसलिए हो रहा था, क्योंकि वह दूसरे देश से आयो था।

उस दिन के बाद से उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई।

अपने देश में उसे जो प्यार मिलता था, वह उसे बहुत याद आने लगा।

यहाँ दूसरे देश में, उसके साथ बहुत ही उपेक्षा का व्यवहार किया जाता था।

सब कोशिश करते थे कि उससे पीछा छुड़ा लें।

ऐसे ही एक-से-दूसरे हाथ में होते हुए एक दिन वह एक लड़के के हाथ में पहुँचा।

सिक्के को देखते ही लड॒का बोला, ' देखो, मेरे देश का सिक्‍का!' यह एक भारतीय लड॒का था, जो जर्मनी में पढ़ने आया था।

अपने देश के सिक्के को देखकर उसे ऐसा लगा जैसे कि उसे अपने देश का कोई अपना मिल गया हो।

उसने सिक्‍के को प्यार से चूमा - और सबको दिखाया।

सिक्‍के को तो जेसे सबसे बड़ी ख़ुशी मिल गई थी।

उस लड॒के ने सिक्के को धोकर उसे छोटी-सी डिब्बी में रख दिया।

फिर उसे अपनी जेब में रख लिया, जिससे कि वह धोखे से उसे किसी को दे न दे।

कुछ दिनों बाद वह सिक्का उस लड़के के साथ वापिस अपने देश आ गया।

लेकिन आज भी उस लड॒के ने सिक्‍के को सम्हालकर उसी डिब्बी में रखा हुआ है।

सिक्का समझ गया है कि अपना देश और अपने लोगों का प्यार कहीं और नहीं मिल सकता।