यह एक जापानी लोकगाथा है।
बहुत पुरानी बात है।
एक नौका समुद्र के रास्ते एक देश से दूसरे देश जा रही थी।
इस नौका पर एक बड़ा और मूल्यवान हीरा ले जाया जा रहा था, जो जापान देश के राजा के लिए किसी ने उपहार में भेजा था।
अचानक समुद्र में तेज़ तूफान आया और नोका डूबने लगी।
नौका पर सवार सिपाही किसी तरह जान बचाकर किनारे तक पहुँच गए; लेकिन हीरा नौका के साथ समुद्र में डूब गया।
जापान के राजा ने हीरा ढूँढ़ने के लिए अपने सबसे बढ़िया गोताख्रोर समुद्र में भेजे; लेकिन उनमें से कोई भी हीरे को नहीं ढूँढ पाया।
तब एक जापानी महिला दरबार में आई। देखने से लगता था कि वह एक निर्धन महिला है। उसकी गोदी में एक छोटा बालक था।
बालक का नाम था 'कामाराती।
महिला ने राजा से कहा, 'यदि आप आज्ञा दें तो मैं भी हीरा ढूँढ़ने की एक कोशिश करना चाहती हूँ।'
राजा ने उसे बताया कि बडे-से-बड़ा गोताखोर भी हीरे को दूँढकर नहीं ला पाया है।
लेकिन महिला बहुत वीर थी।
वह बोली, 'मुझे एक नौका दीजिए।
यदि में सफल हुई तो मैं इनाम के धन से अपने बेटे कामाराती को एक वीर समुराई बनाना चाहती हूँ।'
“समुराई' जापानी योद्धाओं को कहा जाता है।
राजा ने उसे आज्ञा दे दी।
वह साहसी महिला रस्सी बाँधकर समुद्र में उस स्थान पर उतरी, जहाँ समुद्री दानव का महल था।
उसे विश्वास था कि हीरा उसी ने चुराया है।
विशाल समुद्री दानव को हराकर वह महल में अंदर गई तो एक बड़े कमरे के बीचोंबीच उसे वह हीरा रखा हुआ मिल गया। इस युद्ध में उसे काफी चोटें भी लग गईं थीं।
लेकिन उसने हीरा अपने से अलग नहीं होने दिया।
आखिर वह ऊपर आई और उसने राजा को हीरा दे दिया।
राजा ने महिला के साहस की बहुत प्रशंसा की।
उन्होंने अपना वचन पूरा किया; और इस तरह 'कामाराती' एक महान योद्धा यानी 'समुराई' बना।