मनुष्य अपनी सोचने की क्षमता के कारण ही सभी प्राणियों में अलग है।
सोचने की क्षमता को हटा दें तो मनुष्य एक बेहद साधारण प्राणी रह जाता है।
हमारे स्वयं पर गर्व करने का एकमात्र कारण हमारे सोचने की क्षमता ही है।
इसी क्षमता के बल पर मनुष्य बाकी प्राणियों पर नियंत्रण रख पाता है।
जरा विचार करें कि जब हम केवल इस विशेषता के कारण दुनिया में सबसे अलग हैं तो क्या हमें इस चमत्कारिक क्षमता का सदुपयोग नहीं करना चाहिए ?
जवाब मिलेगा अवश्य करना चाहिए, लेकिन क्या नकारात्मक सोच के साथ हम इस क्षमता का सही उपयोग कर सकते हैं ?
जी नहीं, हम ऐसा नहीं कर सकते। हम तभी श्रेष्ठ प्राणी बन सकते हैं, जब हमारी सोच सकारात्मक होगी। जीवन में सफलता तभी मिलेगी, जब सोच सकारात्मक होगी।
यदि आप आपदा के बारे में सोचते हैं तो वह आ जाएगी। मौत बारे में सोचते हैं तो आप अपने अंत की ओर तेजी से बढ़ने लगते हैं। सकारात्मकता और स्वेच्छा से सोचो, विश्वास और निष्ठा के साथ सोचो।
तब जीवन और भी सुरक्षित हो जाएगा यानी गतिविधियों से परिपूर्ण, उपलब्धियों से भरा हुआ।
एक स्थान पर समुद्र में बहुत ही तेज तूफान आया। तूफान के गुजर जाने के एक दिन बाद लोगों ने देखा कि असंख्य सी-स्टार (एक समुद्री जीव) किनारे पर आ पड़े थे।
तेज सूरज निकला हुआ था और उसकी गर्मी से पानी के बाहर किनारे पर पड़े समुद्री जीवों का शरीर सूखने लगा था।
मृत्यु उनके करीब आ रही थी। तभी मुद्र के किनारे टहल रहे एक लड़के ने सी-स्टारों को उठाकर समुद्र में फेंकना शुरू कर दिया, ताकि वे मृत्यु के मुंह में जाने से बच जाएं।
एक आदमी उस लड़के को ऐसा करते हुए देख रहा था। वह उसके नजदीक आया और बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो ?
चारों तरफ देखो, लाखों सी-स्टार पड़े हुए हैं। समुद्र का पूरा किनारा उनसे अटा पड़ा है। तुम्हारे इस प्रयास से कुछ भी नहीं बदलेगा।
" लड़के ने अपने सामने वाला सी-स्टार उठाया, एक क्षण सोचा और उसे पानी में फेंककर बोला, “आप गलत कह रहे हैं। मेरा प्रयास बहुत कुछ बदलेगा।
भले ही बहुतों के लिए कुछ न बदले, पर इस सी-स्टार के लिए बहुत कुछ बदलेगा।"
सोच ही मनुष्य को बाकी प्राणियों से अलग करती है और सोच ही जीवन में बदलाव लाती है ।