दुनिया के सभी प्राणियों में मनुष्य शारीरिक रूप से सबसे कमजोर है। आदमी चिड़िया की तरह उड़ नहीं सकता, तेंदुआ से तेज दौड़ नहीं सकता, एलीगेटर की तरह तैर नहीं सकता और बंदर की तरह पेड़ पर चढ़ नहीं सकता।
आदमी की आँख चील की तरह तेज नहीं होती, न ही उसके पंजे और दाँत जंगली बिल्ली की तरह मजबूत होते हैं।
जिस्मानी तौर पर आदमी बेहद लाचार और असुरक्षित होता है।
वह एक छोटे से कीड़े के काटने से मर सकता है।
लेकिन कुदरत समझदार और दयालु है।
उसने इंसान को जो सबसे बड़ा तोहफा दिया है, वह है सोचने की क्षमता।
इंसान अपना माहौल खुद बना सकता है, जबकि जानवरों को माहौल के मुताबिक ढलना पड़ता है।
दुःख की बात ये है कि कुदरत के इस सबसे बड़े तोहफे का पूरा इस्तेमाल बहुत कम लोग कर पाते हैं।
असफल लोग दो तरह के होते हैं - वे जो करते तो हैं लेकिन सोचते नहीं, दूसरे वे लोग जो सोचते तो हैं लेकिन करते कुछ नहीं।
सोचने की क्षमता का इस्तेमाल किए बिना जिंदगी गुजारना वैसा ही है, जैसे कि बिना निशाना लगाए गोली दागना।