सुखी जीवन किसे कहते हैं

सुख खरीदा नहीं जा सकता, अनुभव किया जा सकता है ।

एक बार एक राजा जंगल में जा रहा था कि एक आदमी अपनी झोंपड़ी के द्वार पर सोया हुआ था ।

झोंपड़ी खुली थी । राजा अपने घोड़े से उतरा और झोंपड़ी के अन्दर गया और बाहर आ गया ।

राजा सोचने लगा कि यह आदमी देखों कितने सुख से सोया हुआ है ।

राजा वहाँ लिखता है कि " ओ सुख की नींद सोने वाले सुख की नींद मुझे दे । मैं तुम्हे धन से माला माल कर दूंगा " और चला गया ।

एक दिन फिर वहां से निकला तो क्या देखता है कि जहाँ राजा ने लिखा था उसके साथ लिखा था " ओ मूर्ख पैसों से सुख की नींद खरीदी नहीं जा सकती ।

सुख मन का होता ।

एक मेहनती इन्सान काम करता है तो उसे ख़ुशी होती है ।

अगर वही काम कोई आलसी करता है तो वह बोझ महसूस करता है ।

सुख को किसी जगह फिट नहीं किया जा सकता है ।

दुनिया का हर अच्छा काम सुख अनुभव कराता है ।

कर्जा न हो सेहत अच्छी हो और सत्य का आचरण हो ।

बुराई अगर सौ परदों में भी की जाये तो मन में भय उतपन्न होता है ।

भय का होना ही दुःख का कारण है । भगतसिंह फांसी के फंदे को ही सुख मानता था ।

वो चाहता तो छूट सकता था । कुदरती साधनों का इस्तेमाल करना सुख का साधन होता है ।