कोई इन्सान यह सोचे की मैं अमीर बन जाऊँ तो मुझे सुख मिलेगा । सुख का अमीरों से कोई रिश्ता नहीं है ।
सुख का रिश्ता करने से है जो आदमी करता है उसके पास सुख होता है पैसा है । सेहत ठीक नहीं तो सुख नहीं मिलेगा ।
एक बार फोर्ड अपने दफ्तर में खड़ा था, कहते हैं फोर्ड दुनिया में सबसे अधिक पैसे वाला इन्सान था ।
जिसकी फोर्ड गाड़ियां चलती हैं दुनिया में मंहगी कार उसकी बनती है ।
लंच टाईम था उसकी लेबर कारखाने में काम करने वाले वापस में हंसी मजाक कर रहे थे और मस्ती से भोजन खा रहे थे और फोर्ड ऊपर से देख रहा था और सोच रहा था काश मैं भी इनमें एक होता है तो आज खाता पीता ।
मुझे डॉक्टर अभी गोली खाने को कहेगा । मैं सब के साथ हंस नहीं सकता, खा नहीं सकता हूँ बस पैसा ही पैसा मेरे सामने है ।
कहने का कतलब यह है कि पैसा बुरी चीज नहीं, अगर उसको ईश्वरी ढंग से कमाया जाए और खर्च किया जाए ।
एक कर्म तो वो होता है जो पैसा के लिए किया जाए, दूसरा वो जो नाम के लिए किया जाए या किसी परलोक के लिए किया जाए ।
एक कर्म निःस्वार्थ होता है । जो लोग विना मतलब के कर्म करते हैं वो बहुत तरक्की करते हैं चाहे उनके पास पैसा कम हो मगर उनका कर्म सबसे उत्तम होता है ।
जैसे-जैसे इन्सान कर्म करता है उसको कुछ सीखने को मिलता है । जो सीख जाता है वो कुछ बन जाता है, जो बन जाता है वो ही मास्टर कहलाता है ।
जब आप किसी चीज के मास्टर हो जायेंगे तो दुनिया को रास्ता दिखा सकते हैं ।
दुनिया आपके पीछे चलती रहेगी, पैसा फिर गौण हो जाता है । आज कोई नोकरी करनी होती है तो पी. एच-डी की जरूरत पड़ती है तब अच्छी नोकरी मिलती है ।
सरकार पूछती है आपने कुछ नया तरीका किया है, दुनिया को बताया है, किसी चीज में मास्टरी की है, यह करने का युग है किसी को कुछ बनना है तो कुछ करना पड़ेगा । संसार को देखे समझे, यही पैसे का सुख है ।
कश्मीर तो अच्छा है अगर टाँगे चल सके एक आदमी अपने परिवार को लेकर कश्मीर गया ।
पैसा बहुत कम था फिर भी वो नौ दिन काश्मीर रहा और जैसे-तैसे उसने अपने साधनों में रह कर ही गुजारा किया ।
एक आदमी ने उससे पूछा- तुम इतने थोड़े पैसे लेकर काश्मीर आ गए ।
वो इन्सान बोला - बाबू क्या करे जब पैसा होगा तो टांगे जबाब दे देंगी । फर्क इतना है कि लोग टैक्सी में घूमते हैं हम बस में । हवा दोनों को एक जैसी ही लगती है । करो और सुख लो यही नीति है इसी में सुख है ।