रंगरूप के बजाय यदि हम अधिक मेहनत अपनी सोच पर कर लें तो सब कुछ बदल जाएगा।
हमलोग हमेशा बाहरी खूबसूरती पर अधिक ध्यान देते है और अपने अंदर के सोच को खूबसूरत बनाने पे कम ध्यान देते है।
यह सोचने के बजाय कि आप क्या खो रहे हैं, यह सोचें कि आपके पास ऐसा क्या है जिसे बाकी सभी लोग खो रहे हैं।
अपने दुश्मन को आप जो सबसे अच्छी चीज दे सकते हैं, वह है क्षमा और एक प्रतिद्वंद्वी को सहिष्णुता, एक मित्र को हृदय, अपने बच्चे को अच्छा उदाहरण, एक पिता को आदर, मां को गर्व करने लायक आचरण, स्वयं को सम्मान और सभी व्यक्तियों को परोपकार।
कमाल की बात यह है कि हम अपने नाक-नक्श को नहीं बदल सकते, अपने डील-डौल को नहीं बदल सकते, अपने रंग को नहीं बदल सकते, अपनी जाति नहीं बदल सकते, अपने जन्म की हकीकत को नहीं बदल सकते, लेकिन सोच को तो बदल सकते हैं।
इसके बावजूद हम सोच को बदलने पर उतना ध्यान नहीं देते, जितना ध्यान बाकी चीजों को बदलने पर देते हैं। जिसे आप नहीं बदल सकते, उस पर रोने से ।
क्या फायदा। उसे बदलिए, जिसे आप बदल सकते हैं और वह है आपकी नकारात्मक सोच।
इसके बदलते ही सब कुछ बदला हुआ समझिए। यदि आपकी सोच सकारात्मक हो गई तो आपका रंग भी उजला दिखाई देगा और शरीर भी सुंदर ही दिखाई देगा।
सकारात्मक सोच के तीन महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। एक, क्रोध का त्याग और शांति की शरण।
दूसरा, दूसरों का सम्मान करना और उनके नजरिए को मान देना तीसरा, दूसरों की कमी न देखना और चिंता का त्याग करना।
चिंता का त्याग यानी जो चीज छूट गई, उसका रोना रोने से कोई फायदा नहीं। अस्पताल के एक कमरे में गंभीर रूप से बीमार दो व्यक्ति लाए गए। कमरे में आने से पहले दोनों एक-दूसरे से अनजान थे।
इनमें से एक बीमार का बिस्तर कमरे में मौजूद एकमात्र खिड़की के पास था, जबकि दूसरे का बिस्तर खिड़की से दूर दीवार के पास था।
खिड़की के पास वाले मरीज को उसकी बीमारी की वजह से दिन में कुछ देर बैठने की अनुमति मिलती थी, जबकि दूसरे मरीज को दिनभर कमर के बल बिस्तर पर पड़े रहना पड़ता था।
दोनों अपने जीवन, परिवार, नौकरी आदि के बारे में बातचीत करते थे। जब भी खिड़की के पास वाला मरीज बिस्तर पर बैठता था तो वह उस दृश्य का वर्णन करता था, जो वह खिड़की के बाहर देखता था।
दीवार के पास वाला मरीज उसके विवरण को सुनता रहता था। वह बताता कि सामने एक बेहद खूबसूरत
पार्क का नजारा दिखाई देता है। पार्क में एक सुंदर झील भी है।पार्क में बच्चे बतखों और हंसों के साथ खेलते हैं। विवाहित जोड़े हाथों में हाथ डाले रंगीन फूलों के चारों तरफ घूमते हैं।
शहर के ऊपर फैला आकाश भी खिड़की से दिखाई देता है। उसके इस विवरण को सुनकर उसका साथी मरीज अपनी आंखें बंद कर लेता और उन सभी खूबसूरत नजारों की मन-ही-मन कल्पना करता।
कुछ समय बाद एक रात खिड़की के पास वाला मरीज अपनी गंभीर बीमारी के कारण गहरी नींद में ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके साथी मरीज को इसका बहुत दुख हुआ। अब कमरे में वह अकेला ही रह गया था।
जब डॉक्टर और नर्स आए तो उसने उनसे अनुरोध किया कि उसका बिस्तर खिड़की के पास लगा दिया जाए। डॉक्टर मान गया। नर्स ने उसका बिस्तर खिड़की के पास लगा दिया।
जब नर्स चली गई तो उसने किसी तरह धीरे से अपने आपको उठाया और कोहनी पर शरीर को टिकाकर खिड़की के पार दृष्टि दौड़ाई। बाहर का नजारा देखकर वह चकित रह गया।
खिड़की के सामने तो एक खाली दीवार ही थी। वहां कुछ भी नहीं था।
जब नर्स आई तो उसने उससे उन सभी चीजों का जिक्र किया, जो उसका मरीज मित्र खिड़की के बाहर देखकर उसे बताता था। नर्स ने बताया कि मृत्यु को प्राप्त हुआ मरीज तो अंधा था। वह कुछ देख नहीं सकता था। संभवतः वह तुम्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा था।