पुत्र -पुत्रियों का अपने पिता के विषय में उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर क्या विचार रखता है। उनके अलग - अलग उम्र में अलग-अलग विचार कुछ इस तरह से होते है :-
4 वर्ष : मेरे पापा महान है ।
6 वर्ष : मेरे पापा सबकुछ जानते है, वे सबसे होशियार है।
10 वर्ष : मेरे पापा अच्छे है,परन्तु गुस्से वाले है।
12 वर्ष : मैं जब छोटा था, तब मेरे पापा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते थे ।
16 वर्ष : मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नही चलते, सच पूछो तो उनको कुछ भी ज्ञान ही नही है !
18 वर्ष : मेरे पापा दिनों दिन चिड़चिड़े और अव्यवहारिक होते जा रहे है।
20 वर्ष : ओहो... अब तो पापा के साथ रहना ही असहनीय हो गया है,मालूम नही मम्मी इनके साथ कैसे रह पाती है।
25 वर्ष : मेरे पापा हर बात में मेरा विरोध करते है, कौन जाने, कब वो दुनिया को समझ सकेंगे।
30 वर्ष : मेरे छोटे बेटे को सम्भालना मुश्किल होता जा रहा है, बचपन में मै अपने पापा से कितना डरता था ?
40 वर्ष : मेरे पापा ने मुझे कितने अनुशासन से पाला था, आजकल के लड़को लड़कियों में कोई अनुशासन और शिष्टाचार ही नही है।
50 वर्ष : मुझे आश्चर्य होता है, मेरे पापा ने कितनी मुश्किलें झेल कर हम चार भाई-बहनो को बड़ा किया, आजकल तो एक सन्तान को बड़ा करने में ही दम निकल जाता है।
55 वर्ष : मेरे पापा कितनी दूरदृष्टि वाले थे, उन्होंने हम सभी भाई-बहनो के लिये कितना व्यवस्थित आयोजन किया था, आज वृद्धावस्था में भी वे संयमपूर्वक जीवन जी सकते है।
60 वर्ष : मेरे पापा महान थे, वे जिन्दा रहे तब तक हम सभी का पूरा ख्याल रखा।
सच तो यह है की..... पापा ( पिता ) को अच्छी तरह समझने में पूरे 60 साल लग गये ।