पिता को समझने में 60 साल लगते है

पुत्र -पुत्रियों का अपने पिता के विषय में उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर क्या विचार रखता है। उनके अलग - अलग उम्र में अलग-अलग विचार कुछ इस तरह से होते है :-

पिता को समझने में 60 साल क्यों लगते है ? कैसे लगते है ? और किस तरह से लगते है ?

4 वर्ष : मेरे पापा महान है ।

6 वर्ष : मेरे पापा सबकुछ जानते है, वे सबसे होशियार है।

10 वर्ष : मेरे पापा अच्छे है,परन्तु गुस्से वाले है।

12 वर्ष : मैं जब छोटा था, तब मेरे पापा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते थे ।

16 वर्ष : मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नही चलते, सच पूछो तो उनको कुछ भी ज्ञान ही नही है !

18 वर्ष : मेरे पापा दिनों दिन चिड़चिड़े और अव्यवहारिक होते जा रहे है।

20 वर्ष : ओहो... अब तो पापा के साथ रहना ही असहनीय हो गया है,मालूम नही मम्मी इनके साथ कैसे रह पाती है।

25 वर्ष : मेरे पापा हर बात में मेरा विरोध करते है, कौन जाने, कब वो दुनिया को समझ सकेंगे।

30 वर्ष : मेरे छोटे बेटे को सम्भालना मुश्किल होता जा रहा है, बचपन में मै अपने पापा से कितना डरता था ?

40 वर्ष : मेरे पापा ने मुझे कितने अनुशासन से पाला था, आजकल के लड़को लड़कियों में कोई अनुशासन और शिष्टाचार ही नही है।

50 वर्ष : मुझे आश्चर्य होता है, मेरे पापा ने कितनी मुश्किलें झेल कर हम चार भाई-बहनो को बड़ा किया, आजकल तो एक सन्तान को बड़ा करने में ही दम निकल जाता है।

55 वर्ष : मेरे पापा कितनी दूरदृष्टि वाले थे, उन्होंने हम सभी भाई-बहनो के लिये कितना व्यवस्थित आयोजन किया था, आज वृद्धावस्था में भी वे संयमपूर्वक जीवन जी सकते है।

60 वर्ष : मेरे पापा महान थे, वे जिन्दा रहे तब तक हम सभी का पूरा ख्याल रखा।

सच तो यह है की..... पापा ( पिता ) को अच्छी तरह समझने में पूरे 60 साल लग गये ।

जीवन में कभी भी कोई कष्ट न मिले ऐसी व्यवस्था एक पिता ही करता है ।

कृपया आप अपने पापा को समझने में इतने वर्ष मत लगाना, समय से पहले समझ जाना।क्योंकि हमारे पिता हमारे बारे में कभी भी गलत विचार नही रखते सिर्फ हमारे विचार उनके प्रति गलत होते है जो हमे समय निकल जाने के बाद अहसास होता है। इस दुनिया में एक पिता ही ऐसा होता है जो अपनी सन्तान को अपने से सदा आगे ही बढ़ते हुए देखना चाहता है। जब किसी चीज की इच्छा रखते है तो उसे सबसे पहले पिता ही पूरा करते है। अनुशासन का दूसरा नाम पिता ही होते है । अपने पिता का सम्मान करे और उनके विचार का सम्मान करें।