शेख चिल्ली की एक नौकरी अभी छूटी थी और वो दूसरी की तलाश कर रहा था।
उन्हीं दिनों उसने कुछ पैसे कमाने को लिए जंगल जाकर लकड़ी काटकर लाने की बात सोची।
वो एक बहुत सुहाना दिन था और शेख चिल्ली अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल की ओर चला।
जंगल में वो एक पेड़ पर चढ़कर एक बहुत मजबूत डाल को काटने लगा।
उस डाल पर बहुत सारी चींटियां उसके पास से होकर जा रहीं थीं।
शेख ने उनका बहुत बारीकी से अध्ययन किया।
चींटियां कितनी व्यस्त थीं! परंतु वे जा कहां रहीं थीं ?
वो चींटियों का तने पर चढ़ना देखता रहा और साथ में पेड़ की डाल भी काटता रहा।
वो डाल काठते समय बीच में आई चींटियां को हटाता रहा।
सारी चींटियां अपने सुल्तान से मिलने के लिए जा रही होंगी, शेर ने सोचा।
वो उसे मेरे बारे में बताएंगी।
फिर सुलतान खुद मुझसे मिलने के लिए आएगा।
उसके सिर पर एक छोटी सुनहरी पगड़ी होगी।
उसे देखकर ही मैं उसे पहचान जाऊंगा! वो इतनी सारी चींटियां की जान बचाने के लिए मेरा शुक्रिया अदा करेगा।
फिर वो मेरी कुछ मदद करना चाहेगा। वो मुझे फलां
“सावधान! तुम गिरने वाले हो।” नीचे से गुजरता एक राहगीर चिल्लाया।
कर्र... की एक जोरदार आवाज हुई और जिस डाल को शेख काट रहा था वो टूट कर नीचे गिरी और उसके साथ-साथ शेख भी गिरा!
“तुम्हें चोट तो नहीं आई?” राहगीर ने शेख को उठाते हुए पूछा।
“नहीं,” शेख ने कहा। शेख भाग्यशाली निकला क्योंकि वो पत्तियों के एक ढेर के ऊपर जाकर गिरा।
“अच्छा यह बताइए कि आपको यह कैसे पता चला कि मैं गिरने वाला हूं ? क्या आप कोई ज्योतिषी हैं ?"
राहगीर एक दर्जी थां, ज्योतिषी नहीं।
परंतु वो पैसे बनाने का यह मौका गंवाना नहीं चाहता था।
इसलिए उसने कहा कि वो एक ज्योतिषी हैं।
“तुम अगर मुझे एक रुपया दोगे,” उसने कहा, “तो में तुम्हारा पूरा भविष्य बता दुंगा।"
“परंतु मेरे पास तो सिर्फ एक आना है," शेख ने अपनी जेब में से सिक्के को टटोलते और उसे देते हुए कहा।
“कम-से-कम मुझे इतना ही बता दो कि में कब तक जिंदा रहूंगा।"
दर्जी ने शेख की हथेली को बहुत करीबी से पढ़ने का नाटक किया।
“मौत तुम्हारा पीछा कर रही है!" उसने बड़ी गंभीरता से कहा !
“हाय अल्लाह!” शेख ने आह भरी।
“परंतु यह तुम्हारी रक्षा करेगा," दर्जी ने अपनी जेब से एक काला धागा निकालते हुए कूछ मंत्र पढ़ा और फिर धागे को शेख के गले में बांध दिया।
“जब तक धागा टूटेगा नहीं तब तक तुम जीवित रहोगे।”
शेख ने दर्जी का शुक्रिया अदा किया, फिर कटी टहनियों को इकट्ठा किया और फिर गंभीरता से सोचते हुए घर की ओर रवाना हुआ।
“क्या बात है ?” उसकी बीबी फौजिया ने यूछा।
वो घर की कमाई बढ़ाने के लिए कपड़े पर कुछ कढ़ाई कर रही थीं।
कढ़ाई को रखकर वो शेख के पीने के लिए ठंडा पानी लाई अपने गले में बंधे काले धागे को सहलाते हुए सहमी हुई हालत में शेख ने फौजिया को अपनी पूरी आपबीती सुनाई।
फौजिया ने सब सुनने के बाद तुरंत काले धागे को खींचकर तोड़ दिया। “ अब तुम इस पूरी बकवास को हमेशा के लिए भूल सकते हो!” उसने कहा।
शेख तुरंत अपनी आंखे बंद करके लेट गया।
“क्या हुआ ?” फोजिया ने पूछा।
“मैं मर गया हूं," शेख ने कहा। “तुम्हारे धागा तोड़ने से में अब मर गया हूं!"
तभी उसकी अम्मी घर में घुसीं। “हाय अल्लाह।” वो रोने लगीं, “मेरे बेटे को यह क्या हो गया ?"
“अम्मी, आपका लाडला समझ रहा हैं कि वो मर चुका है !"
फौजियों ने कहा और उसके बाद उसने अम्मी को पूरी कहानी सुनाई।
अब अम्मी की बारी थी शेख चिल्ली की बेवकूफी पर हंसने की !
अम्मी और फौजिया ने शेख को बहुत समझाया कि वो मरा नहीं बल्कि अच्छी तरह जिंदा है परंतु शेख उनको एक भी बात सुनने को तैयार नहीं हुआ !
फिर शेख को उसके हाल पर छोड़कर दोनों औरतें घर को अन्य कामों में लग गरयीं। इस बीच शेख जमीन पर एकदम स्रीधा लेटा रहा।
कुछ देर बाद उसने अपनी आंखें खोलीं और चारों ओर देखा।
पर जैसे ही फौजिया ने उसकी तरफ देखा शेख ने झट से अपनी आंखें बंद कर लीं!
फौजिया एक होशियार महिला थी। “अम्मीजी," उसने जोर से कहा, “अब तो यह मातम का घर है। इस समय मिठाई खाने के बारे में भला कोई कैसे सोच सकता हैं ?
अम्मी, आप जो गर्म-गर्म गुलाब जामुन लायीं हैं, उन्हें हम फेक देते हैं।”
गुलाब जामुन ? शेख की सबसे मनपसंद मिठाई! शेख अब मौत को पूरी तरह भूल चुका था।
“नहीं! नहीं!" उसने उठते हुए कहा। कृपा कर उन्हें मत फेंको। में अब जिंदा हो गया हूं।