यह घटना द्वितीय विश्व युद्ध के समय की है।
युद्ध पूरे जोर पर था। 10 मई 1941 को जर्मन वायुसेना के बमवर्षक विमानों ने लंदन पर बमों की जोरदार वर्षा की ।
इस हमले में लंदन का अत्यधिक प्रसिद्ध होकल अलेक्जेंड़ा पूरी तरह नष्ट हो गया।
इस होटल में ठहरे मेहमानों के साथ इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध प्रकाशक एंड्रयू वर्दी भी मारे गए।
उस दिन की लंदन पर हुई यह सबसे भयानक बम वर्षा थी।
एंड्रयू वर्दी की मृत्यु के बाद उनकी प्रकाशन संस्थान के संचालन की सारी जिम्मेदारी उनके पुत्र जेम्स वर्दी के कंधों पर आ पड़ी।
एक दिन कोई महत्त्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए जेम्स अपने पिता की 94 को डायरी को देख रहा था।
तब यह देखकर वह घोर आश्चर्य में पड़ गया कि उस डायरी में 10 मई का पन्ना बिल्कुल खाली था, यहां तक कि उस पर 10 मई की तारीख भी नहीं छपी थी।
चूंकि यह डायरी उन्हीं के प्रकाशन-संस्थान ने अपने एजेंटों, पुस्तक-विक्रेताओं और ग्राहकों में वितरण के लिए छापी थी, इसलिए जेम्स को यह डर हुआ कि कहीं ऐसा न हुआ हो कि यह गलती सभी डांयरियों में रह गई हो।
जेम्स ने गोदाम में रखी बची हुई सारी डायरियों की जांच कराई । पता लगा कि किसी भी डायरी में 10 मई का पन्ना खाली नहीं था।
जिन लोगों को डायरियां भेजी गई थीं उन सभी को पत्र भेजे गए, परंतु सभी ने स्वीकारा की सभी की डायरियां दुरुस्त थीं।
किसी भी एजेंट या पुस्तक विक्रेता या ग्राहक ने इससे पहले भी डायरी के 10 मई के पन्ने के खाली होने की शिकायत नहीं की थी।
सिर्फ एंड्रयू वर्दी की डायरी में ही 10 मई 1941 का पन्ना खाली था।
10 मई 1941 अर्थात् उसकी मौत का दिन।
यह रहस्य आज भी अनसुलझा हुआ है कि आखिर एंड्रयू वर्दी की डायरी में ही 10 मई का पन्ना खाली क्यों है ?