चकवा की कहानी

भूतो में आत्मा पिसाच राक्षय्स बुरी आत्मा जैसे प्रकार होती है लेकिन उनमें भी एक प्रकार है "चकवा" जो बहुत लोगो को नही पता है।

गांव वाले लोग को इन चकवा के बारे में अच्छी तरह जानते ह चकवा का मराठी में मतलब है चकमा देने वाला।

आखिर ये चकवा है क्या छीज?

दरअसल चकवा एक पिसाच होता है जो रात में बाहर आता है ओर जंगली इलाको में पाया जाता है...

इनकी खासियत ये है कि ये किसी भी इंसान का रूप ले सकता है ज्यादा तर अपने पहचान के व्यक्ति का रूप लेता है ताकि जाल में फस जाए और ये अपने शिकार को 2 बार आवाज़ दे कर बुलाता है....

चकवा कभी तीसरी आवाज़ नही दे सकता ये उनकी खासियत है... ओर ये अपनी आँख बंद चालू करते रहते है.... ये पिशाच जाल में फसे इंसान को जंगल मे ले जा कर मार देता है... चलिए शुभम की कहानी सुनते है जिसका सामना चकवा से हुआ था.....

हेलो मेरा नाम शुभम है मैं एक छोटे शहर में रहता हु

मुझे याद है 12 th की एग्जाम अभी खत्म ही हुई थी

एग्जाम के बाद 1-2 महीनों की लम्बि छुट्टिया थी

इस लिए हर साल के मुताबिक मैं इस साल भी अपने मामा के गांव छुट्टिया बिताने जाने वाला था

मामा का गांव अंचिवाड़ी घने जंगल में था

ये गांव छोटा है ओर पहाडी इलाक के बीचो बीच है, गांव छोटा है इस लिए इस गांव से एक ही बस जाती है

जब मै गांव पहुचा तब काफी खुश था... श्हर से काफी दूर... न कोई गाडियो का शोर ना ही प्रदूषण.. बस से उतरते ही मामा मुझे लेने के लिए खड़े ही थे

मैं गांव आया इस लिए मामा भी बहुत खुश थे...हमारे मामा के पास बहुत खेती है और गांव में उनकी बहुत इज़्ज़त थी

जब मैं घर पहुचा तब शाम हो चुकी थी.... घर पर मैं आने पर सब खुश थे मामी दादा दादी और मामा के लड़के भी... इतना सफर कर के मै बहुत थक गया था इस लिए खान खा कर सो गया....

दूसरे दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया...

वैसे गांव में सुबह लोग जल्दी उठ जाते है. मामा के लड़के राजू और सुरेश मुझसे पहले उठ गए थे ...

वैसे वो उनका रोज़ का समय था

सुबह जब मै राजू और सुरेश जब चाय ले रहे थे तब राजू बोला कि आज हम दोपहर को जंगली पहाड़ पर जायगे घूमने के लिए....

ये सुनते ही मैं बहुत खुश हुआ कियूकी मुझे एडवेंचर बहुत पसंद है!

हमे ये प्लान मामी को बताया मामी ने इजाजत दे दी हमारा प्लान शाम को आने का था

इस लिए मामी ने हमे तीनो को टिफिन दे दिया.... हम करीब 12 बजे के आस पास निकले ... गर्मी का मौसम था धीरे धीरे गर्मी बढ़ रही थी

हमे करीब 30 मिनीट चलते हुई जाना था... हम गांव से बाहर निकले फिर खेतोयो से होते हुए हम जंगल की तरफ पहुच गए... थोड़े जंगल के बाद बड़ी पहाड़ी थी...

हम पहाड़ चढे ऊपर पहुचते ही हमने हमारा टिफिन खाया काफी मज़ा आया ऊपर से नज़रा काफी अच्छा था..

हम करीब 4 बजे तक घूमे... और घर तक लौटते हुए हमें शाम हो गई तब मामा भी खेती से लौट रहे थे हमने उनको हमारी सारी बाते बताई ... मै आज भी काफी थक गया था और राजू और सुरेश भी इस लिए हमने खाना खाया और सो गए..... लेकिन आगे जो भी होने वाला था वो काफी डरावना था...

मुझे याद है उसी दिन करीब रात के 2:30 बजे मुझे सुरेश की आवाज़ आयी और मैं जाग गया.... मैं अपने बिस्तर से उठा और सामने वाले रूम में आया...

वह कोई नही था इस लिए मैंने खिड़की खोली और बाहर देखने लगा... और तबी फिर से मुझे सुरेश की आवाज़ आयी वो घनी झाड़ियो के पीछे खड़ा था

मैन सोच ये इतने रात को बाहर क्या कर रहा है? मैंने लाइट जलए और दरवाज़ा खोल कर बाहर गया.... लेकिन मैंने जो देखा वो काफी डराने करने वाला था....

वो सुरेश तो था लेकिन लग नही रह था वो अपनी आँखें बंद चालू कर हर था... मैन कहा आरे सुरेश तुम इतनी रात बाहर क्या कर रहे है? वो बोला कि शुभम मेरा मोबाइल फ़ोन पहाड़ी पर राह गया है चलो जाते है लेन को....म ग़ुस्सेैं से बोला तुम्हें समय पता है क्या हुआ है?

ये कहते हुए मेरी नज़र उसके पैरों की तरफ गयी... दोस्तो जो मैंने देखा उससे मैं करीब बेहोश होने वाला था... उसके पैर उल्टे थे

ये देख कर मैं जोर से चिल्लाय... जैसे ही मैं चिल्लाया ... घर वाले सब उठ गए मामा मामी सब... मैं अचानक ज़मीन पर गिर गया... और वो डरावना सुरेश वह से गायब हो गया..... मुझे मामा ने उठाया... त्तब वह सुरेश और रमेश दोनो खड़े थे... सकल से काफी डरे हुये लग रहे थे... मैं गुस्से से बोला ... क्या तुम्हें यही टाइम मिला मज़ाक करने को....?

सुरेश बोला नही शुभम मैं अभी उठा हु तुमारे आवाज़ से.... ये सुन कर मैं तो कापने लगा... मामा ने मुझे उठाया और घर मे बैठाया... और पूछने लगे क्या हु था शुभम....? मैन सरी कहानी बतायी.... सब के चहरे पर डर साफ नजर आ रहा था

तभी मामा ने मुझे सोने को कहा... मानो मामा को सब पता है.. लेकिन डर के मारे नींद नही आयी...

सुबह जब मैं उठा तब मामा घर पर ही थे आज वो खेती में नही गए... जब मैं चाय ले रहा था तब उनोने मुजे बुलाया और बोले....

रात में तुम जिसे मिले वो एक पिसाच चकवा था....

ये सुन कर मेरे नीचे से ज़मीन खिसक गई दोस्तो.... चकवा क्या होता है मुज़हे पता था.मामा बोले कि इस गांव में चकवा है...

हमरा घर जंगल के काफी करीब है इस लिए वो हमारे घर तक पहुच सका... मामा बोले करीब दो महीने पहिले पड़ोस के लड़के की लाश मिली थी उसके घर के थोड़ी दूर जंगल मे... वो काम इसी चकवा का था... शायद उस पिसाच ने तुम्हें जंगल मे देख लिया था इस लिए वो यहा घर तक पहुचा.... इस घटना के बाद मुझे उस गांव में अजीब लगने लगा ...मैं दो दिनों में ही घर को लौट गया... आज भी जब मैं ये मंजर याद करता हु तो काफी डर लगता है! मामा के गांव बुलाने पर मैं 10 बार सोचता हूं....