1860 और 1870 के दशकों की बात है।
अमेरिका में मजदूर आंदोलन अपने चरम पर था।
यह आंदोलन पेन्सिल्वानिया की कोयला खदानों की दयनीय और भयावह कार्यस्थितियों को लेकर शुरू किया गया था।
इस संघर्ष को अधिक प्रभावी रूप से चलाने के लिए कामगारों ने 'मौली भाग्वायर्स ' नाम का एक गुप्त संगठन स्थापित किया।
पर स्थिति ऐसी बिगड़ी कि आंदोलन दंगों में बदल गया। कामगारों और यूनियन नेताओं की धरपकड़ शुरू हुई और लगभग डेढ़ सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
हड़ताल से निबटने के लिए मालिकों ने एक गुप्तचर संस्था 'पिंकरटन डिटेक्टिव एजेंसी ' की मदद ली, जिसके एजेंटों ने 'मौली भाग्वायर्स ' में अपनी घुसपैठ बना ली ।
मजदूरों को भड़काने वालों के विरुद्ध प्रमाण इकट्ठे किए गए और मुकदमें चलाए गए।
नतीजतन करीब दर्जन भर लोगों को मौत की सजा सुनाई गई।
1877 में 'येलो जैक' नाम के मशहूर डोनाह्य को 'लहाई कोल एंड नेविगेशन कंपनी ' के फोरमैन की हत्या के आरोप में मुख्य दोषी पाया गया और फांसी दे दी गई ।
उसके तीन अन्य साथियों को भी विभिन्न हत्याओं के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई गई। इनमें से दो तो चुपचाप फांसी पर चढ़ गए, लेकिन
कोठरी नम्बर 17 में बंद उनका तीसरा साथी, एलेक्जेंडर केंपबेल, अंत तक यही चिल्लाता रहा कि वह बेकसूर है ।जब उसे कोठरी से खींचकर फांसी के तख्ते पर ले जाने लगे, तो उसने फर्श की मिट्टी से कोठरी की दीवार पर अपने हाथ की छाप
बना दी और चिल्ला-चिल्लाकर कहा, 'मेरा यह हाथ मेरी बेगुनाही के सबूत के तौर पर सदा-सदा के लिए यहां बना रहेगा।' फांसी के तख्ते पर पहुंचने तक वो बार-बार यही कहता रहा और फांसी पर लटकाए जाने के लगभग 15 मिनट बाद ही उसके प्राण निकले।
कैंपबेल तो मर गया, पर अपने हाथ की छाप वहां छोड़ गया।
कैंपबेल का यह हाथ अमेरिका में अन्याय का एक ज्वलंत सबूत बन गया।
कई लोगों ने इसे तरह-तरह से मिटाने की कोशिश की, पर सफल नहीं हुए। आखिरी बार इसे मिटाने की कोशिश की गई 1978 में ।
उस पर पेंट पोता गया लेकिन नया पेंट भी उस हाथ की छाप को छिपाने-मिटाने में नाकामयाब रहा।
उसके बाद से ये कोठरी हमेशा के लिए बंद कर दी गई, पर उसकी दीवार पर कैंपबेल का हाथ आज तक बना हुआ है।