न्यूयार्क का जॉन एफ. कैनेडी एयरपोर्ट संसार के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विमान तलों में से एक है।
ईस्टर्न एयरलाइंस के एक त्रिस्टार जुंबो नम्बर 38 को अगली उड़ान के लिए तैयार किया जा रहा है।
एक ओर उसकी टंकियों में तेल भरा जा रहा है तो दूसरी ओर तकनीशियन विमान के कलपुर्जों की जांच-पड़ताल में लगे हुए हैं।
इसी बीच ईस्टर्न एयरलाइंस के ही एक वाइस प्रेसीडेंट विमान में प्रवेश करते हैं। वे इस विमान के नियमित यात्रियों में से एक हैं ।
विमान पूरी तरह खाली है।
केवल एक अजीब-सा सन्नाटा यात्री कक्ष में पसरा पड़ा है। सहसा वाइस प्रेसीडेंट की नजर प्रथम श्रेणी के कक्ष में बैठे एक पायलट पर पड़ती है। वे उसकी ओर बढ़ते हुए कहते हैं, 'हैलो।'
पायलट उनकी ओर मुड़ता है। उसकी आंखो में एक अंधे कुएं-सा सूनापन समाया हुआ है।
उसे देखकर वाइस प्रेसीडेंट के सारे शरीर में सिहरन-सी दौड़ जाती है। एक अज्ञात भय उन्हें जड़वत कर देता है। वे कुछ बोल नहीं पाते हैं, पायलट उठता है।
आतंक से वाइस प्रेसीडेंट की आंखें मुंद जाती हैं और जब अगले पल वे खुलती हैं, तब उन्हें पायलट कहीं नजर नहीं आता। लगता है, जैसे वह
वातावरण में धुएं की तरह समा गया है।
वाइस प्रेसीडिंट के दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
वे लड़खड़ाते हुए बाहर आते हैं । वाइस प्रेसीडेंट की यह हालत देखकर विमान के अन्य कर्मचारी उनकी ओर दौड़ पड़ते हैं। वाइस प्रेसीडेंट के मुंह से अस्फुट स्वरों में शब्द निकलते हैं, 'बॉब लॉफ्ट तो कभी का मर चुका है।
' क्षण मात्र में कर्मचारियों के दिमाग में सन् 72 में घटी एक भीषण विमान दुर्घटना घूम जाती है।
वह संसार की पहली जुंबो दुर्घटना थी, जिसमें एक सौ एक लोगों की जान गई थी।
बॉब लॉफ्ट उसी विमान का हतभाग्य विमान चालक था। फ्लोरिडा से मियामी जाते समय उसका विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और बॉब लॉफ्ट अपने इंजीनियर सैकेंड ऑफिसर डॉन रेपो के साथ मारा गया था।
कर्मचारी अपने वाइस प्रेसीडेंट की सेवा-सश्रुषा में जुट जाते हैं।
थोड़ा प्रकृतिस्थ होते ही वे फिर बॉब लॉफ्ट का नाम लेते हैं। कहते हैं कि, 'मैंने बॉब लॉफ्ट को बैठे हुए देखा है। पूरे विमान की तलाशी लो।
' विमान की तलाशी ली जाती है, पर बॉब लॉफ्ट तो क्या, किसी अन्य व्यक्ति का सुराग नहीं मिलता।
कर्मचारी सोचते हैं, शायद वाइस प्रेसीडेंट ने कल्पना की आंखों से मृत बॉब लॉफ्ट को बैठे हुए देखा होगा। लेकिन नहीं, इस घटना के कुछ समय बाद अन्य नियमित यात्रियों ने भी बॉब लॉफ्ट को देखने की सूचना दी।
फिर एकाएक बॉब लॉफ्ट दिखाई देना बंद हो गया और उसकी जगह डॉन रेपो दिखाई देने लगा। पहले तो डॉन का केवल चेहरा नजर आता, फिर वह सशरीर दिखाई देने लगा।
न्यूयार्क से मियामी की उड़ान के दौरान प्रथम श्रेणी की एक महिला यात्री ने उसे अपने बगल में बैठा हुआ पाया था। उसने उसे सहयात्री समझा ।
डॉन का चेहरा पीला था और वह बेहद बीमार नजर आ रहा था।
महिला यात्री ने उससे पूछा, 'क्या आपकी तबीयत खराब है ?' पर डॉन ने कोई उत्तर नहीं दिया।
उसकी आंखों में व्याप्त विवशता का भाव उस महिला यात्री को द्रवित कर गया। उसने विमान परिचारिका को बुलाकर कहा, 'पास बैठे सहयात्री की तबीयत खराब है, कोई व्यवस्था करो।
' विमान परिचारिका ने कुछ पूछना चाहा, पर वह मौन रहा | उसकी चुप्पी एक विचित्र-सा भय पैदा करने वाली थी। शोरगुल सुनकर कुछ अन्य यात्रियों का भी ध्यान डॉन रेपो की ओर गया।
वे कुछ कहते, इससे पूर्व डॉन देखते-देखते गायब हो गया।
उसके पास बैठी महिला भय से चीख उठी। उसे विश्वास हो गया कि उसके पास बैठा सहयात्री कोई प्रेत था।
मियामी तक उड़ान उसने जैसे-तैसे पूरी की । मियामी पहुंचते ही उसने विमान अधिकारियों से कहा कि उसे कंपनी के तमाम मृत-जीवित फ्लाइट इंजीनियरों की फोटो दिखाई जाए।
तब तक पूरे विमान तल में किसी प्रेतात्मा द्वारा विमान यात्रा की खबर फैल चुकी थी।
लोगों को बॉब लॉफ्ट की याद ताजी थी। तो क्या बॉब लॉफ्ट फिर से विमानों में आने लगा है ? विमान तल अधिकारियों ने उस महिला यात्री को सारे फ्लाइट इंजीनियरों के चित्र दिखाए।
डॉन रेपो के चित्र पर नजर पड़ते ही वह फिर चीख उठी। फिर घबराए स्वरों में बोली, 'यही था।
यही मेरे बगल में बैठा था। हे, भगवान ।' इसके बाद तो ईस्टर्न एयरलाइंस के विमानों में सफर करने वाले यात्री एक भयभीत मनःस्थिति के साथ यात्रा करने लगे। उनके मन में एक भय मिश्रित उत्सुकता होती।
इस घटना के बाद डॉन रेपो अक्सर दिखाई दे जाता। कभी-कभी तो वह दिखाई नहीं देता, पर उसकी उपस्थिति का आभास कुछ यात्रियों को हो जाता।
कभी-कभी विचित्र सी घटनाएं घट जातीं।
एक बार विमान नम्बर 38 के निचले कक्ष में काम करने वाले एक मैकेनिक को अपना स्क्रू ड्राइवर नहीं मिला।
वह परेशान हो उठा। तभी उसने महसूस किया कि किसी ने उसके हाथ में स्क्रू पकड़ा दिया है।
वह भयभीत हो उठा, क्योंकि निचले कक्ष में उसके सिवाय कोई और नहीं था। इसी तरह एक अन्य उड़ान में एक विमान परिचारिका भोजन तैयार कर रही थी।
एक इलेक्ट्रिक चूल्हे में उसे कुछ गड़बड़ी मालूम हुई। उसने इंजीनियर को आवाज दी। इंजीनियर का यूनिफार्म पहने एक अपरिचित व्यक्ति आया और उसने चूल्हे की गड़बड़ी ठीक कर दी।
थोड़ी देर बाद विमान का इंजीनियर वहां आया और बोला, “आवाज क्यों दी थी ?' विमान परिचारिका ने कहा, ' चूल्हे में गड़बड़ी थी।
उसे एक दूसरे इंजीनियर ने ठीक कर दिया है।'
“दूसरा इंजीनियर ? यहां तो मेरे सिवाय कोई और नहीं है।'
'क्या कहते हैं आप ?' विमान परिचारिका ने कुछ भय से पूछा।
फ्लाइट इंजीनियर सारा माजरा समझ गया। हो न हो, वह डॉन रेपो ही रहा होगा।
बाद में उसने विमान परिचारिका को डॉन का फोटो दिखाया तो वह तत्काल बोल उठी, ' हां, यह फोटो उसी इंजीनियर का है ।
' धीरे-धीरे डॉन रेपो की उपस्थिति के वे सब आदी हो गए उन्हें विश्वास था कि अब बॉब लॉफ्ट और डॉन रेपो प्रेत बन चुके हैं, पर ऐसे प्रेत हैं जो किसी को नुकसान नहीं करते, वरन् आने वाली विपदाओं से उन्हें बचाते हैं, क्योंकि डॉन रेपो द्वारा विमान चालकों की सहायता करने की अनेक घटनाएं घटने लगी थीं।
एक बार न्यूयार्क से मैक्सिको जा रहे विमान नम्बर 38 के विमान चालक दल को एक स्पष्ट आवाज ने चेतावनी दी, 'इस विमान में आग लगने की आशंका है।
' मैक्सिको में तो विमान सकुशल उतर गया, पर दुबारा उड़ान के समय उसके इंजिन में आग लग गई।
विमान चालकों ने बड़ी कुशलता से विमान नीचे उतारा। पर विमान नीचे धरती पर उतारते वक्त उन्हें यही अनुभव हो रहा था कि कोई अज्ञात शक्ति उन्हें हर उपाय सुझा रही है।
जब ईस्टर्न एयरलाइंस के अन्य विमान चालकों को इस घटना का पता लगा तब उनमें से एक ने कहा, 'डॉन रेपो ने ही उनकी सहायता की है।' फिर उसने बताया, “एक दिन विमान तल पर मेरी डॉन रेपो से मुलाकात हुई थी।
उसने मुझसे कहा था कि अब कभी त्रिस्टार जुंबो दुर्घटनाग्रस्त नहीं होंगे।
हम कभी ऐसा नहीं होने देंगे।' मैं उससे कुछ पूछता कि वह गायब हो गया। इन घटनाओं ने जान जी. फुलर ' नामक एक लेखक को खोजबीन के लिए प्रेरित किया।
उसने ईस्टर्न एयरलाइंस की एक विमान परिचारिका एलिजाबेथ मेनजियोनो के साथ इस दिशा में खोज शुरू की।
उन दोनों ने एक “ओइजा' (प्लेंचेट जैसे) बोर्ड खरीदे और एक एकांत कमरे में उस बोर्ड पर अंगुलियां रख बॉब लॉफ्ट और डॉन रेपो की प्रेतात्माओं का आह्वान किया। फुलर ने लिखा है, 'सहसा हमारी अंगुलियां बोर्ड अक्षरों पर घूमने लगीं।
तभी एलिजाबेथ ने पूछा, “क्या यहां कोई है ?' उत्तर में हमारी बारी-बारी से जिन अक्षरों पर अंगुलियां ठहरीं, उन्हें मिलाने से जो शब्द बने-वे थे डॉन रेपो।