स्कॉटलैण्ड में एक ऐसा दुर्ग है, जिसमें कई बार प्रेत देखे गए हैं।
इनमें से एक प्रेत तो इंग्लैण्ड की राजमाता ने स्वयं देखा है।
इस दुर्ग का नाम है--'ग्लेमिस कैसल'। इंग्लैण्ड की राजमाता का बचपन इसी दुर्ग में बीता है।
पत्थरों से बने इस दुर्ग में एक विशालकाय महल है, जिसकी दीवारें पिछले हजार वर्षों से जाने कितने राज छिपाए हैं।
कहते हैं, अपने बचपन में राजमाता ने इसी महल में एक नीग्रो कर्मचारी के प्रेत को देखा था।
इस दुर्ग-महल में एक कक्ष था, जिसे “ब्लू रूम' नाम से पुकारा जाता था।
जब रात होती और चारों तरफ अंधकार में लिपटा सन्नाटा छा जाता, तब कोई आकर इस “ब्लू रूम ' के द्वारों को थपथपाता।
शोर सुनकर लोग वहां पहुंचते और किसी को न पाकर सहमते हुए अपने कक्षों में लौट जाते।
दुर्ग-महल के बारे में यह भी एक किंवदती है कि लोगों ने एक गौर वर्ण युवती को अंधेरी रातों में भटकते हुए देखा, जो लोगों के देखते-देखते हवा में गायब हो जाया करती थी।
ग्लेमिस-दुर्ग का इतिहास और दुखांत घटनाओं से भरा हुआ है।
यों तो इस दुर्ग के बारे में अनेक कहानियां प्रचलित हैं, पर एक कहानी रोम- रोम सिहरा देने वाली है।
आज से 133 वर्षों पूर्व की रात। दुर्ग में किसी काम से आया एक व्यक्ति महल की भूल-भुलैया से गलियारों में खो गया।
गलियारे सुनसान थे और वह किसी से राह भी न पूछ पा रहा था। सहसा उसकी नजर एक विशाल द्वार पर पड़ी।
उसने सहमते हुए द्वार पर थपकी दी। जब कोई उत्तर न मिला, तब उसने द्वार को ठेलकर खोलना चाहा।
चरमराहट की आवाज के साथ द्वार खुल गया। उक्त व्यक्ति ने कक्ष के भीतर प्रवेश किया। पर सामने नजर पड़ते ही वह भय से चीख उठा और बेहोश हो गया।
उसकी चीख दुर्ग के सन्नाटे में दूर-दूर तक गूंज गई और किसी अज्ञात आशंका से कांपते हुए लोग चीख की दिशा में दौड़ पड़े।
उनमें दुर्ग के स्वामी लार्ड स्ट्रैकमोर का एक विश्वस्त कर्मचारी भी था।
उसने तुरंत उस व्यक्ति को एक कमरे में पहुंचाया और लोगों से कहा, “वे चले जाएं। बेहोश व्यक्ति को अपने आप होश आ जाएगा।' साथ ही उसने लार्ड स्ट्रैकमोर को इस घटना की सूचना भिजवाई।
सूचना पाते ही लार्ड स्ट्रेकमोर तुरंत ग्लेमिस दुर्ग पहुंचे और उन्होंने रातों-रात उस व्यक्ति को किसी अन्य देश में जीवन बिताने के लिए भिजवा दिया।
कारण ? लार्ड स्ट्रेममोर एक पारिवारिक रहस्य को अपने देशवासियों के सामने प्रकट नहीं करना चाहते थे। उन्हें आशंका थी कि यदि वह कर्मचारी इंग्लैंड में रहा तो भूत-प्रेतों के लिए बदनाम उनका दुर्ग-महल और बदनाम हो जाएगा।
लेकिन इतनी सावधानी के बावजूद लार्ड स्ट्रेकमोर ग्लेमिस दुर्ग के बारे में व्याप्त किवदंतियों को कम न कर पाए। लोगों के मन में यह भय पैठ गया कि ग्लेमिस-दुर्ग में प्रेतों का वास है।
इस घटना के चालीस वर्ष बाद दुर्ग महल के एक कक्ष में लोग आमोद- प्रमोद में व्यस्त हैं। जाने कैसे, भूत-प्रेतों की बात चल पड़ती है और उपस्थित लोग दो दलों में बंट जाते हैं। एक दल का ख्याल है कि भूत-प्रेत नहीं होते और दूसरे दल का विश्वास है कि वे होते हैं।
आखिर तय किया जाता है कि आज ग्लेमिस दुर्ग में भटकते प्रेतों की खोज की ही जाए। प्रेतों की खोज का वे एक आसान तरीका भी ढूंढ़ निकालते हैं । वे दुर्ग महल की प्रत्येक खिड़की पर तौलिए लटका देते हैं और फिर बाहर खड़े होकर उन तौलियों पर नजर रखते हैं | कुछ देर तक तो तौलिए लटके रहते हैं, फिर एक खिड़की पर लगा तौलिया देखते-देखते गायब हो जाता है।
दुर्ग-महल के सामने खड़े लोगों में आतंक फैल जाता है। यह प्रश्न सभी को आतंकित करता है कि आखिर वह तौलिया गया कहां ?
ग्लेमिस दुर्ग की इस प्रेत कथा के पीछे एक दर्दनाक घटना भी छिपी हुई है। सन् 1820 की बात है। तत्कालीन लेडी स्ट्रेकमोर ने एक शिशु को जन्म दिया, तो सरे दुर्ग में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। लेकिन जब मां ने अपने नवजात शिशु पर नजर डाली, तब वह भय और आतंक से चिल्ला उठी।
नवजात शिशु का अंग-अंग विकृत था और वह किसी दैत्य का शिशु प्रतीत हो रहा था। लेडी स्ट्रेकमोर नहीं चाहती थीं कि लोग उन्हें एक भयानक, अर्ध- मानव, अर्ध पशु सा प्रतीत होने वाले लड़के को मां के रूप में जानें।
उन्होंने उसे एक कक्ष में आजीवन बंद रखा। शायद उसकी मृत्यु भी उसी कक्ष में हुई।