घटना ब्रिटेन के पश्चिमी यार्कशायर के ओट्ले कस्बे की है।
यह लगातार तीसरे साल का दिसंबर महीना था, जब डिकेन्स दंपत्ति ने महसूस किया कि सचमुच उनके पड़ोस के सूने घर में कुछ-न-कुछ अजीब घटता है ।
उस मकान में आए उन्हें तीन साल से कुछ ही ज्यादा दिन हुए थे और पड़ोस के कई परिवारों ने उन्हें जानकारी दी थी कि हर वर्ष के अंत में उस सूने मकान में रात में भूतों का मेला लगता है।
विज्ञान में भरोसा करने वाले मिस्टर डिकेन्स ने उस समय बड़ी सहजता से बात को टाल दिया था कि सिर्फ लोगों का भ्रम है और कुछ नहीं, लेकिन मिसेज डिकेन्स के मन में यह बात घर कर गई।
कुछ-कुछ डर भी लगने लगा।
मिसेज डिकेन्स के आग्रह पर मिस्टर डिकेन्स भी सच्चाई जानने को उत्सुक हो गए।
उन्होंने पहले पड़ोसियों से इस बारे में बातें करना शुरू किया। धीरे-धीरे मिस्टर डिकेन्स को कई नई जानकारियां मिलीं ।
वह सूना घर चार्ल्स ट्वीडेल नाम के मोटर मैकेनिक का था।
एक मोटर दुर्घटना में ट्वीडेल की मौत हो गई तो उनका परिवार इटली के वेनिस शहर चला गया।
लगभग सात साल से ज्यादा समय से वह मकान खाली था।
तो क्या वह मकान 'अभिशप्त' था या यहां आत्माएं रहती थीं ?
डिकेन्स ने इस सवाल के लिए दौड़-भाग शुरू कर दी।
कब्रगाह से थोड़ी ही दूर पर बने उस मकान में रात को अलग-अलग किस्म की आवाजें दिसंबर की 25 तारीख के बाद ही सुनाई पड़ती थीं।
बाकी साल वह सूना घर सन्नाटे में डूबा रहता।
आवाजें रात को आती और उन आवाजों में विचित्र किस्म का शोरगुल शामिल रहता था।
ठहाके लगते, वायलिन की धुन होती और अक्सर ग्लास के टूटने की आवाजें आतीं।
तो आत्माएं नए साल का जश्न मनाने वहां आती हैं, इसमें डिकेन्स को कोई संदेह नहीं रहा।
लोगों को अब उस घर के प्रति ज्यादा उत्सुकता होने लगी।
उस सूने घर में प्रेतात्माओं की ख्याति यार्कशायर के प्रेत विशेषज्ञ कुकसन स्ट्रेट के पास भी पहुंची । कुकसन स्ट्रेट ने घटना की सच्चाई जानने की कोशिश की।
उसने 30 दिसंबर की सुबह तय किया कि घर के प्रवेश द्वारों पर कड़ी निगाह रखी जाए जिससे किसी के चोरी-छिपे जाने की कोई गुंजाइश ही न रहे कमरे में जगह- जगह अतिसंवेदनशील वीडियो कैमरे छिपाकर लगा दिए गए और खुद कुकसन ने रात मकान के बाहर बिताना तय किया।
उस रात भी उस घटना की पुनरावृत्ति हुई।
जब बाद में वीडियो की तस्वीरें देखी गईं तो वहां कई लोगों की बातचीत का शोरगुल था, हंसने की आवाजें थीं और संगीत का स्वर था। कुकसन ने भी माना कि वहां रात में कोई जरूर था, पर कैमरे में उनकी तस्वीरें क्यों नहीं आ पाईं, यह बताने में कुकसन भी असमर्थ थे।
ऐसा लगातार कई सालों तक चला, फिर लोगों के अनुरोध पर उस मकान को तोड़ दिया गया, पर यह बात आज भी रहस्य बनी हुई है कि उस सूने घर में क्या होता था ?
कहां से आती थीं आवाजें ?
क्या सचमुच प्रेतात्माएं भी नए साल का जश्न मनाती हैं ?