'ये तो मेरे पिता का हाथ है'

11 फरवरी 1857 की बात है।

सम्राट नेपोलियन तृतीय का भेजा दूत मार्क्किस दे बेलमोंट फ्रांस के मशहूर जादूगर होम के घर के बाहर उसका इंतजार कर रहा था।

वह जानना चाहता था कि क्या आत्माओं पर नियंत्रण करने के लिए चर्चित होम एक विशिष्ट आत्मा के साथ बैठक की तारीख तय कर चुका है।

उधर होम घर के भीतर शांति से लेटा हुआ अपनी साथी आत्मा की सहमति का इंतजार कर रहा था।

अंततः: उसे अपनी भौंहों का अदृश्य हाथ के हल्के से स्पर्श से पता चला कि आत्मा उसके साथ राजदरबार में जाने के लिए तैयार है।

यह आत्मा थी विश्वविख्यात नेपोलियन बोनापार्ट की ।

होम ने नीचे आकर मार्किकिस को बताया कि वह दो दिन बाद दरबार में आएगा।

दो दिन बाद यानि 13 फरवरी 1857 को नेपोलियन तृतीय के सामने अपने पहले प्रदर्शन के लिए राजदरबार पहुंचा तो वहां पेरिस के अभिजात वर्ग के लोगों की भीड़ इकट्ठा थी।

इससे पहले उसने छोटे-मोटे प्रदर्शन किए थे, लेकिन होम को यह मौका सम्राज्ञी यूजिनी की बदौलत हासिल हुआ था, जो खुद भी एक शौकिया जादूगर थी।

दरबार में पहुंचकर होम ने यूजिनी से फुसफुसाकर कहा कि वह अपना हाथ मेज के नीचे रखे और अगर उसे ऐसा महसूस होता है कि उसके हाथ पर किसी और का हाथ रखा है तो वह डरे नहीं।

सभी लोग सांस रोके इंतजार कर रहे थे, तभी अचानक यूजिनी चीखी, “ये तो मेरे पिता का हाथ है।

' बाद में सम्राट ने भी खुद इसे स्पर्श किया और दोनों ने उस हाथ की खास किस्म की विकृति को पहचानकर उसके नेपोलियन का हाथ होने की पुष्टि की ।

करिश्मा तो तब हुआ जब एक तेज प्रकाश कौंधा और देखते ही देखते एक प्रकाशपुंज मानव हाथ में बदल गया। इस हाथ ने पेंसिल उठाई और नेपोलियन लिख दिया।

सम्राट ने घोषणा की कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह महान नेपोलियन बोनापार्ट के ही हस्ताक्षर हैं।

इस घटनाक्रम से अभिभूत यूजिनी ने अदृश्य आत्मा से उस हाथ को चूमने की अनुमति मांगी।

आश्चर्यजनक रूप से हाथ स्वयं उठकर उसके होंठों तक गया और हल्के से स्पर्श के बाद अदृश्य हो गया।

इस घटना के बाद होम की इस शाही दम्पत्ति के साथ निकटता बढ़ गई। वह उन्हीं का मेहमान बनकर उनके साथ रहने लग गया।

उसके राजपरिवार में बढ़ते प्रभाव के कारण

वह तमाम तरह के विवादों और अफवाहों में घिर गया।

बाद में उसने राज परिवार छोड़ने का फैसला कर लिया।