एक सुनसान फॉर्म स्थित घर में दो बहनें अकेली सो रही थीं।
तब एक सैनिक की रूह उनके शयन-कक्ष में घुस आई।
उसने सोती हुई एक लड़की के मुंह पर चपत लगाकर उन्हें आतंकित कर दिया।
सोलह वर्षीय शीना डॉनस का विश्वास था कि अपनी बहन को बचाने के लिए उसने प्रेत को कुपित कर दिया है।
डॉनस परिवार मूलतः यार्कसॉट का रहने वाला था। छियालीस वर्षीय निकोलस डॉनस के आयन नाम का एक पुत्र और उससे छोटी शीना एवं ऐम्या दो पुत्रियां थीं। इस परिवार को अत्यंत हर्ष हुआ, जब वे गांव के फॉर्म स्थित नए मकान में आए।
अक्टूबर, 1978 में शीना को लगा कि घर में स्वजन के अतिरिक्त भी एक प्राणी मौजूद रहता है। शीघ्र ही दस वर्षीय ऐम्या एवं उसकी मम्मी ने भी कुछ ऐसा ही महसूस किया।
एक दिन एक मेहमान ने उनको बताया कि वह एक ऐसे व्यक्ति से यहां मिल चुका है, जो फौजी वर्दी में था। यही नहीं, डॉनस-परिवार का वफादार कुत्ता भी उस कमरे में नहीं जाता था, जिसमें यह घटना घटी थी।
एक रात तीन बजे शीना गरम सांसों के स्पर्श से जाग गई। इसके दो सप्ताह पश्चात् उसकी मम्मी को भी कुछ अज्ञात आवाजें सुनकर सदमा-सा पहुंचा था।
ऐम्या ने अपने माता-पिता को बताया कि वह रोज रात तीन बजे जाग जाती है और अपने पेट पर वजन अनुभव करती है ।
एक बड़ी छाया-सी उसके शयनकक्ष में घूमती रहती है।
कुछ रातों के उपरांत उसने हवा में उड़ती हुई एक पुस्तक देखी । इससे ऐम्या बेहद डर गई ।
उसने अपनी मम्मी से कहा, “वह अकेले में एक भयावह आदमी से डरती है।'
यह गतिविधियां कुछ समय के बाद रुक गईं, क्योंकि डॉनस-परिवार ने उस भुतहे कमरे में जाना छोड़ दिया था।
कुछ समय उपरांत दोनों लड़कियों को एक साथ सुलाना भी शुरू कर दिया, ताकि वे डरें नहीं।
परंतु इस पर भी हर रात तीन बजे ऐम्या की नींद टूट जाती। वह अपनी छाती पर वजन अनुभव करती और भयभीत होकर चीख उठती।
तब डॉनस-परिवार ने लिबरल कैथोलिक चर्च के पुजारी रेवरेंट जोहन को भूत भगाने के लिए बुलाया।
पुजारी ने दो घंटे के विविध कठिन क्रिया-कलापों के बाद बताया कि 'हम एक ऐसे आदमी की रूह का सामना कर रहे हैं, जो लगभग सौ वर्ष पूर्व मरा था।
मैं दुःसाध्य प्रयासों से इस रूह को बंदी बना रहा हूं।'
झाड़-फूंक के बाद फॉर्म स्थित उस घर का वातावरण सुखद हो गया, जहां लड़कियां पुन: गहरी नींद सो सकती थीं।